गया। स्मिता उन युवाओं के लिए उदाहरण है, जो अपनी पहली सीढी को ही मंजिल मानकर कदम थाम लेते हैं। स्मिता ने दारोगा रहते हुए BPSC में कामयाबी का झंडा गाड़ा और RDO बन गयी। स्मिता वर्मा ने बिहार पुलिस में दारोगा के पद पर रहते हुए BPSC 67वीं में 709 रैंक लाकर सफलता हासिल की है। स्मिता के पति आकाश दयाल गया शहर में एक निजी कोचिंग का संचालन करते हैं, जबकि उनके ससुर परैया खुर्द पंचायत के मुखिया, जबकि सासा आंगनबाड़ी सेविका है।

स्मिता वर्मा के पति आकाश दयाल के लिए पत्नी को अफसर बनाने के लिए सपोर्ट देना आसान नहीं रहा। लोग कभी उन्हे उलहना देते, तो कभी यूपी की एसडीएम ज्योति मौर्य का उदाहरण देकर तंज कसा गया। लेकिन उन्हें अपनी पत्नी की मेहनत पर यकीन था। पति आकाश कहते हैं कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है और आज बहुत गर्व महसूस कर रहे है कि जो हमने सोचा था, वह पूरा हो गया है।

उन्होंने कहा कि जब हमारी शादी हुई तब यह बीटेक कर रही थीं और उसे छोड़कर तैयारी के लिए दिल्ली गईं. इनका यह पहला प्रयास था, दारोगा पद पर भी पहले ही प्रयास में चयन हुआ था।स्मिता वर्मा ने बताया की BPSC 67वीं में सफलता पर कहा कि दारोगा के पद पर कार्य करते हुए पढाई करना और BPSC की तैयारी करना मुश्किल तो होता है मगर चाह लेने के बाद कुछ भी असंभव नहीं है।

स्मिता की स्कूलिंग सरकारी स्कूल हुई है। वह गया के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ी हैं. बीपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली गई थीं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जल्द ही वापस घर लौट आईं और फिर घर पर रहकर ही तैयारी की। स्मिता कहती है कि मगर मेहनत का फल मीठा होता है. अपनी बहु-बेटी को पढ़ाइये, वह बेटों से ज्यादा नाम करेंगी, अगर आप अपनी बहु बेटी से सिर्फ घर का काम कराएंगे तो ऐसा मौका नहीं मिलेगा।

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