सलीमा बनी कैप्टन: कभी हॉकी स्टिक के लिए नहीं होते थे पैसे, गरीबी से लड़कर ऐसे जमायी हॉकी की दुनिया में धाक, जानिये झारखंड की बिटिया की संघर्ष की कहानी
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Salima Tete Biography In hindi: झारखंड की बेटी सलीमा टेटे (Salima Tete became captain of FIH Pro League womens hockey) को प्रो लीग महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया है। सलीमा को हाल ही में छठे हॉकी इंडिया वार्षिक पुरस्कार 2023 में प्लेयर ऑफ द ईयर 2023 के लिए प्रतिष्ठित हॉकी इंडिया बलबीर सिंह सीनियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कप्तान नियुक्त किए जाने पर मिडफील्डर सलीमा टेटे ने कहा कि उन्हें खुशी है कि टीम का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है। यह बड़ी जिम्मेदारी है। इस नई और बड़ी भूमिका के लिए उत्सुक हूं। एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2023-2024 के आगामी बेल्जियम और इंग्लैंड लीग को ध्यान में रखते हुए हमारी ट्रेनिंग चल रही है। यकीन है कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेंगी.
सलीमा टेटे का जीवन परिचय (Salima Tete Biography In hindi)
झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पिथरा पंचायत के छोटे से गांव बड़कीछापर के उबड़-खाबड़ मैदान पर हस्त निर्मित बांस के स्टिक व बॉल से सलीमा ने हॉकी खेलना शुरू किया था। टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में खेल रही सलीमा का परिवार आज भी गांव में मिट्टी के मकान में रहता है। उसके पिता सुलक्सन टेटे एवं भाई अनमोल लकड़ा खेत में खुद से हल-जोतकर अन्न उपजाते हैं। सलीमा की मां सुबानी टेटे गृहिणी है। सलीमा की चार बहनों में इलिसन, अनिमा, सुमंती एवं महिमा टेटे शामिल हैं। महिमा भी राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता खेलती रही है।
सलीमा का परिवार आज भी गांव में मिट्टी के मकान में रहता है। पिता सुलक्सन टेटे और भाई अनमोल लकड़ा खेत में हल-जोतकर अनाज पैदा करते हैं। मां सुबानी टेटे हाउस वाइफ हैं। सलीमा की चार बहनों में इलिसन, अनिमा, सुमंती एवं महिमा टेटे शामिल हैं। सलीमा को देखकर छोटी बहन महिमा भी हॉकी खेलने लगी और नेशनल लेवल पर झारखंड का प्रतिनिधित्व करती हैं। सलीमा टेटे भी टोक्यो ओलिंपिक 2022 में भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा थीं।
सलीमा के पिता भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं और अच्छे हॉकी खिलाड़ी हैं. उनके पिता अक्सर गांव की टीम से सलीमा को सिमडेगा जिला के लठ्ठा खम्हन हॉकी प्रतियोगिता में 2011 से ही लगातार खेलने के लिए ले जाते थे, जहां उसे बेस्ट खिलाड़ी का भी पुरूस्कार मिला था. उसी प्रतियोगिता में मनोज कोनबेगी की नजर सलीमा पर गई और उनके पिताजी को सेंटर के लिए ट्रायल देने के लिए उन्होंने कहा था.
नवंबर 2013 में सलीमा आवासीय हॉकी सेंटर सिमडेगा के लिए चुनी गई और उसी वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में रांची में आयोजित SGFI राष्ट्रीय विद्यालय हॉकी प्रतियोगिता के लिए झारखंड टीम की तरफ से सलीमा चुनी गई. इसके बाद हॉकी की कोच प्रतिमा बरवा ने उसे ट्रेनिग दी. 2014 में हॉकी इंडिया द्वारा पुणे में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर महिला प्रतियोगिता में पहली बार झारखंड टीम से सलीमा चुनी गई थी और टीम रजत पदक प्राप्त की थीं.
2016 में पहली बार जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में वह चुनी गई और उसी वर्ष अंडर 18 एशिया कप के लिए जूनियर भारतीय महिला टीम की उपकप्तान बनाई गई थी, जिसमें टीम कांस्य पदक प्राप्त किया था. 2016 नवंबर में सीनियर महिला टीम के लिए सलीमा चुनी गई थी और आस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी. 2019 युथ ओलंपिक में उसे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया और टीम रजत पदक प्राप्त की.