नई दिल्ली: गुरुवार को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने वाला है। हर साल 26 जनवरी के दिन देशभर में इस राष्ट्रीय त्योहार की रौनक रहती है। लोग हर्षोल्लास और उत्साह के साथ इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हैं। यह दिन भारत में जनतंत्र की शक्ति को दर्शाता है। इस दिन देश की राजधानी दिल्ली स्थित राजपथ पर गणतंत्र दिवस का समारोह आयोजित किया जाता है। साथ ही इस खास मौके पर देश के राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जब गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं, तो स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री क्यों ध्वजारोहण करते हैं। अगर आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा है, तो हम आपको बताएंगे आखिर ऐसा क्यों होता है।

दरअसल, 15 अगस्त, 1947 के दिन जब भारत को आजादी मिली, तो उस समय प्रधानमंत्री ही देश के मुखिया थे। इसी वजह से आजादी मिलने पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था। लेकिन आजादी के बाद जब 26 जनवरी, 1950 में देश का संविधान लागू किया गया, तो राष्ट्रपति की शपथ ले चुके डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के संवैधानिक प्रमुख थे। ऐसे में उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडा फहराया था। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

ध्वजारोहण और फहराने में अंतर

बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि ध्वजारोहण और झंडा फहराने में भी काफी अंतर है। दरअसल, 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर बांधा जाता है और वहीं से झंडा फहराया जाता है। इसलिए गणतंत्र दिवस के दिन ध्वजारोहण नहीं, बल्कि झंडा फहराया जाता है। वहीं, अगर बात करें स्वतंत्रता दिवस की तो 15 अगस्त के दिन राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर की तरफ खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, उस वक्त ब्रिटिश सरकार का झंडा उतारकर भारत का झंडा चढ़ाया था। यही वजह है कि 15 अगस्त के दिन तिरंगा ऊपर की तरफ खींचने के बाद फहराया जाता है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...