रायपुर: रायपुर में कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन के आखिरी दिन राहुल गांधी ने पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला, तो पार्टी कार्यकर्ताओं में भी जोश भरा। इस दौरान राहुल गांधी ने 4 महीने की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की बात की। उन्होंने कहा कि हम सत्याग्रही हैं और RSS-BJP वाले सत्ताग्रही हैं। ये सत्ता के लिए कुछ भी कर लेंगे। किसी से मिल जाएंगे। किसी के सामने झुक जाएंगे। ये इनकी सच्चाई है।

उन्होंने कहा कि हमारी भारत जोड़ो यात्रा से लाखों लोग जुड़े हैं और हमने गले लगकर सबका दर्द महसूस किया. राहुल गांधी ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि 52 साल हो गए और आज तक उनके पास घर नहीं है.राहुल गांधी ने भाषण में कहा कि 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है और परिवार के पास जो घर है वो इलाहाबाद में है. वो भी घर नहीं है. 120 तुगलक लेन मेरा घर नहीं है. जब पदयात्रा में निकला तो सोचा मेरी जिम्मेदारी क्या है? मैंने कहा कि मेरे साइड में और आगे पीछे जो खाली जगह है, जिसमे हिंदुस्तान के लोग मिलने आएंगे. अगले चार महीने के लिए हमारा वो घर हमारे साथ चलेगा. इस घर में जो भी आएगा अमीर-गरीब, बुजुर्ग युवा हो या बच्चा किसी भी धर्म और स्टेट का जानवर हो, उसे ये लगना चाहिए की मैं आज अपने घर आया हूं।

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उन्होंने 1977 का एक किस्सा सुनाया, जिसे सुनकर उनकी मां सोनिया गांधी भी भावुक हो गईं। राहुल ने कहा कि मैं 52 साल का हो गया, लेकिन आज भी मेरे पास अपना घर नहीं है। यह बताने के लिए उन्होंने एक पुरानी घटना का सहारा लिया। राहुल ने कहा, ‘1977 की बात है। में छोटा था। देश में चुनाव होने वाले थे। घर पहुंचा तो अजीब माहौल था। मैं ने मां से पूछा तो बोली कि हम घर छोड़ रहे हैं।राहुल ने आगे कहा, ‘तब तक मैं यह सोचता था कि यह घर हमारा है। मैंने घर छोड़ने का कारण पूछा तो मां ने मुझे पहली बार बताया कि यह घर हमारा नहीं है। यह सरकार का घर है। हमें यहां से जाना होगा। मैंने पूछा कहां जाना है तो उन्होंने कहा कि यह मुझे नहीं मालूम। आज 52 साल हो गए। आज भी हमारे पास अपना घर नहीं है।’

सुबह उठकर सोचता था- कैसे चलूंगा?

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘आपने केरल में वोट रेस देखी होगी. उस समय जब में वोट में बैठा था, पूरी टीम के साथ में रोइंग कर रहा था, मेरे पैर में भयंकर दर्द था. ऊपरी तौर पर फोटो में मैं मुस्कुरा रहा था, लेकिन दिल के अंदर मुझे रोना आ रहा था. मैंने यात्रा शुरू की. काफी फिट आदमी हूं. 10-12 किलोमीटर ऐसे ही दौड़ लेता हूं. घमंड था. मैंने सोचा था, 10-12 किलोमीटर चल लेता हूं तो 20-25 किलोमीटर चलना कौन सी बड़ी बात है.’ उन्होंने आगे कहा कि एक पुरानी चोट थी, जो कॉलेज में फुटबॉल खेलते समय घुटने में लगी थी. सालों से उस चोट में दर्द नहीं था. लेकिन जैसे ही मैंने यात्रा शुरू की, अचानक दर्द वापस आ गया. आप (कार्यकर्ता) मेरे परिवार हो, इसलिए आपसे कह सकता हूं. सुबह उठकर सोचता था कि कैसे चला जाए. फिर सोचता था कि 25 किलोमीटर की नहीं, 3 हजार 500 किलोमीटर की बात है. कैसे चलूंगा? राहुल गांधी ने यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि कंटनेर से उतरता था. चलना शुरू करता था, लोगों से मिलता था. पहले 10-15 दिनों में अहंकार और घमंड सब गायब हो गया. इसलिए गायब हो गया, क्योंकि भारत माता ने मुझे मैसेज दिया. तुम अगर निकले हो. कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलने निकले हो तो दिल से घमंड निकालो, नहीं तो मत चलो।

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