रांची । राज्य भर के पारा शिक्षक की होने वाली आकलन परीक्षा विवादो में फंसती नजर आ रही है। सरकार की नियोजन नीति हो या पूर्व से कार्य कर रहे संविदा कर्मी, सभी सरकार के नियम के विरोध में खड़े हो रहे है।झारखंड में पहली बार मानदेय बढ़ोत्तरी के लिए पारा शिक्षक से सहायक अध्यापक बने शिक्षक आकलन परीक्षा में बैठेंगे.

झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इसके लिए 30 जुलाई को परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है. इस परीक्षा में वैसे प्रशिक्षित पारा शिक्षक शामिल होंगे जो झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल नहीं हुए हैं. इस परीक्षा में सफल होने के बाद इनके मानदेय में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी.परंतु विभाग के ही नीतियों की वजह से राज्य भर के कई पारा शिक्षक इसमें शामिल नहीं हो सकेंगे।

क्या है विवाद की वजह

राज्य में लगभग 47,000 पारा शिक्षक हैं जो टेट पास नहीं है. इनमें से 43000 शिक्षकों ने आवेदन जमा किया है. शेष बचे करीब 4000 पारा शिक्षकों के सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन नहीं होने की वजह से आकलन परीक्षा में आवेदन जमा नहीं हो सके हैं. प्रावधान के अनुसार आकलन परीक्षा में वही शामिल हो सकते हैं जिनके प्रमाण पत्र सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. राज्य में कुल 61,148 पारा शिक्षक कार्यरत हैं,

इनमें से 14,042 पारा शिक्षक टेट यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास हैं, जिन्हें आकलन परीक्षा में बैठने की जरूरत नहीं है.साथ ही जो पारा शिक्षक आकलन परीक्षा देने के योग्य है अनलोगों ने परीक्षा के सिलेबस पर आपत्ति जताई है। पारा शिक्षक का मानना है की दिवंगत शिक्षा मंत्री के साथ हुई वार्ता में इस तरह के आदेश और सिलेबस का कोई जिक्र नहीं था, ये समझौते का सरासर उलंघन है।

क्या कहते हैं पारा शिक्षक संघ

इधर, टेट पास पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने सरकार से जिन पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं हो सका है उन्हें भी मौका देने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि प्रमाण पत्र का सत्यापन कराना सरकार की जिम्मेदारी है और इन वजहों से यदि आकलन परीक्षा में उन्हें सम्मिलित नहीं होने दिया जाता है तो यह उचित नहीं होगा.

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