रांची। नव वर्ष की आगाज के साथ राज्य भर के बीआरपी सीआरपी ने अपनी आंदोलन तेज कर दी है। सेवा शर्त नियमावली एवम अन्य की मांग कर रहे बीआरपी सीआरपी ने चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में काला बिल्ला का अभियान शुरू किया।बीआरपी सीआरपी अपने दैनिक कार्यों का निष्पादन काला बिल्ला लगाकर करते हुए झारखंड के सभी जिलों में प्रारंभ किया।

विदित हो कि बीआरपी सीआरपी अपने लंबित समस्या के समाधान एवं सेवाशर्त नियमावली हेतु संघर्षरत हैं।ध्यातव्य हो की परियोजना में बीआरपी सीआरपी को छोड़कर अन्य परियोजना कर्मी को उच्च वेतन के साथ सभी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त है। यह अत्यंत कष्टकारी, निराशाजनक एवं अफसोसजनक है की बीआरसी में सबसे अत्यंत अल्प मानदेय भोगी कर्मी बीआरपी सीआरपी हैं। बीआरसी मैं कार्यरत रात्रि प्रहरी/आदेशपाल को भी बीआरपी सीआरपी से ज्यादा मानदेय एवं अन्य बुनियादी सुविधा प्राप्त है। पारा शिक्षकों को मानदेय बीआरपी सीआरपी से फरवरी 2022 से ज्यादा दिया जा रहा है। साथ ही उनकी वार्षिक वृद्धि भी देय है।

सरकार की इस दोहरी नीति से क्षुब्द/आहत होकर बीआरपी सीआरपी अपनी सेवा शर्त नियमावली हेतु, जो विगत एक साल से लंबित है को लागू करने के लिए आंदोलनरत है। इसी क्रम में बीआरपी सीआरपी दो दिन पेन डाउन स्ट्राइक के बाद आज से काला बिल्ला लगाकर कार्य कर रहे हैं। संघ द्वारा आंदोलन की समीक्षा हेतु 7 जनवरी को बैठक रखी गई है।

अगर विभाग से कोई सकारात्मक पहल नहीं होने पर सेवाशर्त नियमावली हेतु संघ वृहद आंदोलन करने पर विचार करेगी। संघ के प्रतिनिधि मंडल ने कहा की विभाग/सरकार से आग्रह करती है कि 18 वर्षों से कार्यरत 2600 बीआरपी सीआरपी को जीवन यापन करने लायक मानदेय एवं बुनियादी सुविधा प्रदान करे।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...