पाकिस्तान की बौखलाहट भारी पड़ी….भारत से दूरी बनाना पड़ा महंगा…

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हलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव (India Vs Pak Tension) चरम पर पहुंच गया है. भारत जहां पाकिस्तान को लगातार करारी चोट देते हुए बड़े एक्शन ले रहा है, तो पाकिस्तान की ओर से भी कड़े फैसले लिए जा रहे हैं, जिनमें सबसे ताजा भारतीय जहाजों के लिए अपने बंदरगाहों को बंद करने का निर्णय भी शामिल है.लेकिन PAK के फैसले उसके खुद के लिए मुसीबत का सबब बनने वाले हैं और उसकी इकोनॉमी (Pakistan Economy) को झटका देने वाले हैं. आइए समझते हैं कैसे?
भारत के एक्शन पर PAK का रिएक्शन
पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ ही भारत की ओर से पाकिस्तानी जहाज़ों के भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर रोक लगाने के तिलमिलाए पाकिस्तान ने महज कुछ घंटों बाद भारतीय जहाजों के लिए अपने पोर्ट्स बंद करने का ऐलान कर दिया. बीते शनिवार को ही India की ओर से मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 की धारा 411 के तहत भारत सरकार के शिपिंग महानिदेशालय ने पाकिस्तान के झंडे वाले जहाजों को किसी भी भारतीय बंदरगाह पर जाने से प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था. Pahalgam Attack के बाद दोनों देशों में समुद्री व्यापार और पार्सल आदान-प्रदान पूरी तरह से रुक गया. हालांकि, इसका नतीजा दोनों देशों के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें, तो आर्थिक रूप से पाकिस्तान को ही ज्यादा नुकसान होने वाला है.
बैन से पाकिस्तान को तगड़ा नुकसान
गौरतलब है कि साल 2019 में पुलवामा अटैक (Pulwama Attack) के बाद भारत द्वारा लगाए गए 200 फीसदी आयात शुल्क के बाद भारत का पाकिस्तान से जुड़ा आर्थिक जोखिम पहले ही लगभग शून्य हो गया है और अब पहलगाम हमले के बाद नए फैसलों से पड़ोसी मुल्क पर और भी शिकंजा कस दिया है, जिनमें किसी भी बचे हुए समुद्री या डाक मार्ग को बैन करना शामिल है. बता दें पहले से प्रतिबंध के बाद भी भारत भले ही मामूली आयात करता हो, लेकिन सीमेंट, कपड़ा और कृषि उत्पादों के लिए अभी तक Pakistan भारतीय खरीदारों तक पहुंचने के लिए अनौपचारिक या तीसरे देश के मार्गों पर निर्भर रहा है.
अब यहां पर भारत की नजर, क्या करेगा पाकिस्तान?
बंदरगाह बैन होने से अब तीसरे देश के जरिए सामान पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह से कटता नजर आ रहा है. ऐसे में पहले से संघर्षरत पाकिस्तान के शिपिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर बड़ा विपरीत असर दिखेगा. क्योंकि विनिर्माण और निर्यात में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों तक उसकी पहुंच लगभग खत्म हो जाएगी. एक्सपर्ट्स भी कह रहे हैं कि प्रत्यक्ष व्यापार समाप्त हो गया है, वहीं तीसरे देशों, विशेष रूप से मध्य पूर्व के जरिए जारी अप्रत्यक्ष व्यापार को लेकर भारत सरकार अब कथित तौर पर रोक के तरीकों का मूल्यांकन कर रही है. FIEO के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय की मानें तो भारतीय फार्मा और रसायन, पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन भारत के कुल कुल विदेशी व्यापार का ये महज 0.06% हिस्सा है.
तीसरे देश के जरिए बड़ा कारोबार
बीते दिनों आई इकोनॉमिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट में बताया गया था कि पुलवामा के बाद तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय कंपनियों का करीब 10 अरब डॉलर (लगभग 85,000 करोड़ रुपये) का माल हर साल Pakistan में पहुंच रहा है. ये सामान सालाना तीसरे देशों दुबई, सिंगापुर और कोलंबो जैसे पोर्ट्स के जरिए चुपचाप पाकिस्तान में पहुंच रहा है, जिन्हें थर्ड पार्टी कंपनियों द्वारा बांडेड गोदामों के अंदर रि-लेबल करके पाकिस्तान की जरूरतें पूरी की जाती हैं.
उदाहरण से समझें तो भारत में मैन्युफैक्चर्ड सामानों पर ‘Made In UAE’ का लेबल लगाया जा सकता है. इस बदलाव के बाद, उन्हें पाकिस्तान जैसे देशों में भेज दिया जाता है, जहां भारत के साथ सीधे व्यापार की अनुमति नहीं है. अब इस पूरे खेल पर भी रोक का मूल्यांकन हो रहा है और ये पाकिस्तान में भारत से पहुंचने वाले जरूरी सामानों की किल्लत बढ़ाने वाला साबित होगा.
कई भारतीय सामानों पर निर्भर है पाकिस्तान
पिछले पांच सालों में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भारी गिरावट देखी गई है, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2024 और फरवरी 2025 के बीच पाकिस्तान को भारत के निर्यात में 56.91% की गिरावट आई है, जो घटकर सिर्फ 491 मिलियन डॉलर (करीब 4,152 करोड़ रुपये) रह गई है. इस दौरान भारत ने पाकिस्तान से कोई आयात नहीं होने की सूचना दी. वहीं FY25 में ये और भी कम हो गया, जो दर्शाता है भारत के व्यापार परिदृश्य में पाकिस्तान की भूमिका कितनी नगण्य हो गई है. पाकिस्तान को भारत के प्रमुख निर्यातों में दवा, बल्क ड्रग्स, चीनी, रसायन और ऑटो कंपोनेंट्स शामिल थे. साल 2019 में पाकिस्तान को भारत का निर्यात 2.06 अरब डॉलर के हाई पर था, जबकि आयात 495 मिलियन डॉलर था.
दोनों देशों के बीच व्यापार प्रतिबंध होने से पहले भारत मुख्य रूप से कपास, केमिकल, फूड प्रोडक्ट्स, दवाइयां और मसाले निर्यात करता था. इसके अलावा, चाय, कॉफी, रंग, प्याज, टमाटर, लोहा, इस्पात, चीनी, नमक और ऑटो पार्ट्स जैसी चीजें भी तीसरे देशों के माध्यम से भेजता था. तो बैन होने से इन चीजों की भारी किल्लत से पड़ोसी देश को जूझना तय है. वहीं सीमेंट, जिप्सम, फल, तांबा, और नमक जैसे उत्पादों की भारत में खपत रुकने से भी पाकिस्तान को तगड़ी आर्थिक चोट लगने वाली है.