रांची : झारखंड सरकार ने अपने राज्य कर्मियों के लिए 1 सितंबर 2022 से पुरानी पेंशन का बहाल किया है। एक ओर सरकार के इस निर्णय से कर्मचारी जहां उत्साहित हैं तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की वित्तीय संस्थाएं इसे राज्य सरकार पर भविष्य में वित्तीय बोझ बढ़ाने वाला निर्णय बता रहे हैं।

सरकार ने इसका भी समुचित हल निकाल लिया है। नई पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार को कर्मचारियों के बेसिक और महंगाई भत्ते का 14% राशि एनपीएस खाते में जमा करना पड़ता था, वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह राशि लगभग 700 करोड़ था। राज्य सरकार ने अपने बजट प्रावधान में इस राशि का आवंटन जारी रखा है तथा प्रति वर्ष इसमें 10% की वृद्धि करते हुए एक पेंशन निधि के गठन का निर्णय लिया है। आज कैबिनेट के बैठक में पेंशन निधि की राशि को विभिन्न वित्तीय संस्थाओं में निवेश करने का निर्णय लिया गया है।
इस प्रकार नई पेंशन योजना के तहत नियुक्त कर्मचारी जब सेवानिवृत होंगे तब उन्हें पेंशन देने में सरकार को किसी तरह की वित्तीय कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस विषय पर बात करते हुए पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन (NMOPS) एवं झारखंड ऑफिसर टीचर्स एंड एम्पलाइज फेडरेशन (JHAROTEF) के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत कुमार सिंह ने कहा कि “सरकार का यह निर्णय उसके दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री जी ने अपने सूझबूझ से यह दिखाया है कि यदि सरकार रास्ता निकालना चाहे तो उनके पास जटिल से जटिल समस्याओं का भी समाधान है।” राज्य के कर्मचारी सरकार के पेंशन निधि के गठन के निर्णय का स्वागत करते हैं।
अभी तक देश के चार राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो चुका है वहीं पंजाब एवं कर्नाटक में यह प्रक्रियाधीन है।
“हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि देश के अन्य राज पुरानी पेंशन बहाली के मामले में झारखंड मॉडल का अनुसरण कर रहे हैं।”
झारखंड में पेंशन बहाली की प्रक्रिया का निर्धारण बेहद सूझबूझ से सभी प्रकार के रूकावटों को दूर करते हुए किया गया है। वित्त विभाग के पदाधिकारियों ने इस मामले में बेहद रचनात्मक सोच के साथ कार्य किया है।
झारखंड प्राकृतिक रूप से एक समृद्ध राज्य है यहां की सरकार बेहतर वित्तीय प्रबंधन से अपने कर्मचारियों तथा आम जनता को देश के अन्य राज्यों से बेहतर सुविधा प्रदान कर सकती है।

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