रांची। पुरानी पेंशन बहाली होने के बाद फूले नहीं समा रहे कर्मचारियों के मन में अब शंकाओं ने जन्म ले लिया है। शंका इस बात की, कि कहीं NPS में जमा उनकी आधी जिंदगी की कमाई का अशंदान डूब तो नहीं जायेगा। ये आशंका, सरकार के उस शर्त की वजह से है, जिसमें ये कहा गया है कि अगर राज्य सरकार अंशदान वापस लाने में असमर्थ होगी, तो कर्मचारी आगे उक्त राशि पर दावा नहीं करेगे। इस संदर्भ में राज्य सरकार ने कर्मचारियों से शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। इस शर्त पर कर्मचारियों को एतराज भी है और आशंका भी है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में इन शर्तों का जिक्र है।

दरअसल झारखंड सरकार ने पुरानी पेंशन के लिए सभी कर्मियों से 15 नवंबर तक अंडरटेकिंग मांगा है। झारखंड हाई कोर्ट कर्मचारियों से लिए जाने वाले अंडरटेकिंग पर सुनवाई करते हुए कहा कि अंशदान को लेकर लगाई गई शर्त कोर्ट के अंतिम फैसले से प्रभावित होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मियों को अंडरटेकिंग दिए जाने की तिथि बढ़ाया जाये। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य के वित्त सचिव कोर्ट में पेश हुए।

कोर्ट ने उनके पूछा था कि NPS अंशदान को वापस लाने के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है। सचिव ने कहा कि नई पेंशन योजना ट्रस्ट में कर्मियों के पैसे जमा हैं। केंद्र की दो अन्य एजेंसी इसकी निगरानी करती है। राज्य सरकार अंशदान के रूप में जमा राशि को वापस लाने का प्रयास कर रही है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने संबंधितों को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से पहले ही जमशेदपुर के कई शिक्षकों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि उनकी नियुक्ति भले ही वर्ष 2004 के बाद हुई है। लेकिन नियुक्ति का विज्ञापन और प्रक्रिया वर्ष 2002 में शुरू की गई थी। लिहाजा, उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए।

सरकार ने पुरानी पेंशन लागू करने का फैसला किया है। सभी कर्मियों से 15 नवंबर तक शपथ पत्र मांगा गया है। उसकी कंडिका तीन में कहा गया है कि अगर राज्य सरकार अंशदान वापस लाने में असमर्थ होगी, तो कर्मचारी आगे उक्त राशि पर दावा नहीं करेगे। ऐसी शर्त लगाना उचित नहीं है। लोगों के कई सालों का अंशदान डूब जाएगा। अदालत ने फिलहाल सभी कर्मियों को सरकार को अंडरटेकिंग देने की बात कही, लेकिन उक्त शर्त कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगी।

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