चमत्कार: …और मरा हुआ ज़िंदा हो गया! ‘मृत’ शख्स ने अर्थी पर ली अंगड़ाई, तो लोग रह गये हैरान, श्मशान छोड़ सीधे ले गये अस्पताल…

Miracle: …and the dead man came alive! When the ‘dead’ man stretched on the bier, people were surprised, they left the crematorium and took him straight to the hospital...

Viral News : “जिसे समझे थे सब खत्म, वो फिर से जी उठा!” जिनका चमत्कार पर यकीन नहीं होता हो, उसे हकीकत का अहसास दिलाने बेहद ही हैरतअंगेज घटना सामने आयी है। चिता पर लिटाने से पहले एक मुर्दे में जान लौट गयी। घटना देखकर हर किसी की नजरें फटी की फटी रह गयी। घटना हरियाणा के यमुनानगर जिले के कोट माजरी गांव की है।

 

जहां 75 वर्षीय शेर सिंह ने ऐसी घटना को जन्म दिया, जिसने गांव ही नहीं, पूरे क्षेत्र को चौंका कर रख दिया। शेर सिंह ‘मरे हुए’ घोषित हो चुके थे। कफन ओढ़ाया जा चुका था, लकड़ियाँ श्मशान पहुंच चुकी थीं, रिश्तेदार शोक में डूब चुके थे, और अंतिम यात्रा बस निकलने ही वाली थी—लेकिन तभी… चमत्कार हुआ!

 

घर के आंगन में अर्थी पर लेटे शेर सिंह को जैसे ही कफन में लपेटा जा रहा था, अचानक उनकी आंखें खुल गईं। नजारा देखकर वहां मौजूद लोगों की चीख निकल गई, कई तो डर के मारे पीछे हट गए। लेकिन जैसे ही देखा गया कि शेर सिंह की सांसें भी चल रही हैं, तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

 

परिजनों के मुताबिक शेर सिंह कुछ समय पहले यमुनानगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों ने उन्हें “कुछ ही समय के मेहमान” बताकर घर ले जाने की सलाह दी थी। रास्ते में उनकी धड़कन बंद हो गई, और डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। फिर क्या, गांव में मौत की खबर फैल गई। अर्थी सजाई गई, चिता की लकड़ियाँ श्मशान पहुंचाई गईं, कफन खरीदा गया, और अंतिम यात्रा की तैयारियां पूर्ण थीं।

 

लेकिन मौत को भी नहीं था मंज़ूर…

जब कफन ओढ़ाया जा रहा था, तभी शेर सिंह की आंखों का खुलना और फिर उनकी सांसों का चलना, जैसे मौत को दो पल के लिए मात दे गया हो। शेर सिंह को दूसरे अस्पताल में भर्ती किया गया, इलाज शुरू हुआ, पर शायद किस्मत में सिर्फ तीन घंटे की वापसी लिखी थी।तीन घंटे बाद डॉक्टर ने फिर वही शब्द कहे—“अब ये नहीं रहे।”

 

दूसरी बार मृत्यु, दूसरी बार अर्थी

शेर सिंह की पहली अर्थी को तोड़ दिया गया था, रिश्तेदार भी वापस लौट चुके थे, लेकिन जैसे ही दोबारा मृत्यु की खबर फैली, रिश्तेदार फिर से गांव लौट आए।

गांव ने शायद पहली बार एक ही दिन में दो बार शोकसभा और दो बार अंतिम संस्कार की तैयारी देखी।शेर सिंह का यह अनोखा आखिरी सफर आज भी गांववालों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है

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