पटना: बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया है। सीएम नीतीश राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद नीतीश राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे। फिर वह तेजस्वी यादव के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे और सरकार बनाने का दावा किया। बुधवार दोपहर दो बजे सीएम और डिप्टी सीएम का शपथग्रहण समारोह होगा।

8वीं बार मुख्यमंत्री

जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इससे पहले वो सात बार इस पद की शपथ ले चुके हैं। साल 2005 के बाद से बीच के कुछ दिनों को छोड़ कर नीतीश लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

साल 2000 में महज सात दिन चला सके थे सरकार

नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने थे. जब वो पहला बार मुख्यमंत्री बने थे तो उनके पास बहुमत नहीं था. और मात्र सात दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी. इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से शुरू हुआ. और एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका यह कार्यकाल 24 नवंबर 2010 तक चला था.

2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे नीतीश कुमार

नीतीश कुमार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ उन्होंने 26 नवंबर 2010 को ली थी. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की जबरदस्त हार हुई थी. उन्होंने पार्टी की हाक की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. और उस समय उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्‍यमंत्री बना दिया था. इसके बाद चौथी बार नीतीश कुमार ने 22 फरवरी 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया था.

पांचवी बार राजद के साथ बनाई थी सरकार

नीतीश कुमार ने पांचवी बार नीतीश कुमार 20 नवंबर 2015 को मुख्यमंत्री बने. यह राजद के साथ गठबंधन सरकार थी. तेजस्वी यादव इसमें उप मुख्यमंत्री थे. दरअसल साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी के बीच महागठबंधन बना था जिसने चुनाव में शानदार जीत दर्ज की.

16 नवंबर 2020 को सातवीं बार CM बने थे

नीतीश कुमारनीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 2020 का चुनाव उन्होंने भाजपा के साथ लड़ा था. हालांकि नीतीश कुमार का पार्टी जदयू का प्रदर्शन अच्छा नहीं था फिर भी भाजपा-जदयु गठबंधन के वो सर्वसम्मत मुख्यमंत्री चुने गए थे.

कई मुद्दों पर आमने-सामने थी बीजेपी-जदयू

जानकारी के अनुसार किसी एक घटना की वजह से नहीं बल्कि पिछले डेढ़ साल में जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू (BJP-JDU) अलग-अलग मुद्दों पर आमने सामने आए हैं, वह सभी इस दूरी को बढ़ाते चले गये हैं. हाल फिलहाल की घटनाओं की बात की जाए तो पहले स्पीकर के साथ नीतीश की कहा सुनी, उसके बाद अग्निपथ योजना के दौरान बीजेपी नेताओं के द्वारा नीतीश पर सवाल उठाना और उसके बाद उन तामम नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान करना एक तरह से बिहार सरकार पर सवाल उठाने जैसा था।

2015 में बना चुके हैं RJD के साथ सरकार

अगर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और आरजेडी एक साथ मिलकर सरकार बनाते हैं तो यह पहली बार नहीं होगा। नीतीश ने लालू यादव के साथ मिलकर साल 2015 में भी बिहार में सरकार बनाई थी और उस सरकार में लालू यादव के दोनो बेटे मंत्री थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, जिसके बिहार में वह चेहरा थे। चुनाव के बाद जीत मिली और उन्होंने सूबे में सरकार बना ली थी। हालांकि ये गठबंधन ज्यादा दिनों तक चला नहीं और 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी के साथ सरकार बना ली।

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