“साथ जिए, साथ गए”: 48 साल पहले खाई कसमें बनीं हकीकत, 10 मिनट के अंतर में दंपति ने त्यागे प्राण, बेटे ने एक ही चिता पर दी विदाई

पूर्वी चंपारण के बुजुर्ग दंपति ने निभाया प्रेम और समर्पण का वादा, गांववालों की आंखें हुईं नम, बेटे ने एक साथ दी अंतिम अग्नि

मोतिहारी (बिहार):आज जब रिश्तों में स्थायित्व और समर्पण सवालों के घेरे में हैं, पूर्वी चंपारण के चिरैया गांव से एक ऐसी सच्ची प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। 70 वर्षीय जमदार महतो और उनकी 65 वर्षीय पत्नी राजपति देवी ने जीवनभर साथ निभाने के वादे को मृत्यु के क्षणों में भी निभाया और दुनिया से साथ विदा हो गए।

48 साल पहले की थी साथ मरने की कसम
चिरैया के वार्ड नंबर 5 में रहने वाले इस बुजुर्ग दंपति ने 48 साल पहले एक-दूसरे से साथ जीने और साथ मरने का वादा किया था। उन्होंने वह वादा निभाया भी—शब्दों में नहीं, अपने अंतिम सांसों में।

10 मिनट के भीतर टूटा सांसों का साथ
गुरुवार की सुबह अचानक जमदार महतो की तबीयत बिगड़ी। उन्हें हिचकियां आने लगीं। बेटे नवल किशोर ने उन्हें गोद में सिर रखकर पानी पिलाने की कोशिश की, लेकिन तब तक वो दुनिया छोड़ चुके थे। पास बैठी पत्नी राजपति देवी ने यह देखा और पति के सीने पर सिर रखकर फूट-फूट कर रोने लगीं। कुछ ही मिनटों में वह भी शांत हो गईं — और फिर उनकी भी सांसें थम चुकी थीं।

एक ही चिता, एक ही विदाई
गांव में यह दृश्य किसी फिल्म जैसी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत था। बड़ी संख्या में लोग इस असाधारण घटना के गवाह बने। बेटे नवल किशोर ने गांव के एक बागीचे में एक ही चिता पर दोनों को मुखाग्नि दी। पति-पत्नी की काया एक साथ पंचतत्व में विलीन हो गई।

प्रेम की अमर मिसाल
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार उम्र, वक्त और सांसों के बंधन से भी ऊपर होता है। जमदार महतो और राजपति देवी अब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका प्रेम और समर्पण एक मिसाल बनकर सदियों तक याद रखा जाएगा।

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