एयर होस्टेस मनीषा का आखिरी टेकऑफ: बिहार की मनीषा थी प्लेन हादसे के वक्त एयर होस्टेस, पूरा परिवार है पुलिस विभाग में पदस्थ, उड़ान से पहले मां को…

Air hostess Manisha's last takeoff: Manisha from Bihar was an air hostess at the time of the plane crash, her entire family is posted in the police department, she had given a message to her mother before the flight...

Air Hostess Manisha Thapa Died : 12 जून को अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जिनमें से 241 यात्री और क्रू मेंबर्स थे। इस हादसे में बिहार की भी एक बेटी मारी गयी। पटना की रहने वाली मनीषा थापा इंडियन एयरलाइंस में एयर होस्टेस थी, जो हादसे में मारी गयी।

पटना की मनीषा का टूटा उड़ता सपना

राजधानी पटना के महुआ बाग, जगदेव पथ, फुलवारीशरीफ की रहने वाली मनीषा थापा एयर इंडिया के उस विमान में बतौर एयर होस्टेस ड्यूटी पर थीं। गुरुवार की वह उड़ान उनकी ज़िंदगी की आखिरी उड़ान बन गई। हादसे की खबर मिलते ही पूरा परिवार अहमदाबाद रवाना हो गया है।मनीषा के पिता राजू थापा, बिहार पुलिस में कार्यरत हैं और फिलहाल बेगूसराय में पोस्टेड हैं। वहीं, मां लक्ष्मी थापा गृहिणी हैं और छोटा भाई अमित थापा पढ़ाई कर रहा है। मनीषा मूल रूप से नेपाल के विराटनगर की रहने वाली थी लेकिन जन्म और पालन-पोषण पटना में ही हुआ।

 

कभी इंडिगो, फिर एयर इंडिया की उड़ान

मनीषा की पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर्स कॉलेज, दीघा से हुई थी। उन्होंने पहले इंडिगो एयरलाइंस में काम शुरू किया और बाद में एयर इंडिया की केबिन क्रू टीम का हिस्सा बनीं। अपने सपनों को पंख देने के लिए वह लगातार मेहनत कर रही थीं। पड़ोसियों और दोस्तों के अनुसार, मनीषा न सिर्फ होनहार बल्कि एक बेहद मिलनसार और मुस्कुराहट बिखेरने वाली लड़की थीं।

 

अब वो मुस्कुराहट नहीं लौटेगी…’

पड़ोसियों का कहना है कि मनीषा जब भी आती, चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान होती थी। हादसे की खबर के बाद पूरे मोहल्ले में ग़म का माहौल है, किसी को यकीन नहीं हो रहा कि अब मनीषा नहीं रही। उनके दो चाचा बबलू थापा और गुड्डू थापा, बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस में हवलदार हैं और बटालियन नं. 1 में तैनात हैं।

 

देश ने खोया एक और उज्ज्वल सितारा

मनीषा जैसी बेटियां देश की नई उड़ान हैं, जिनकी कहानियां प्रेरणा देती हैं। लेकिन अहमदाबाद का यह काला दिन न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति बन गया है।

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