शराब घोटाले में ACB की सख्ती: प्लेसमेंट एजेंसियों के निदेशकों पर कार्रवाई, जानें क्या होगा आगे

ACB's strictness in liquor scam: Action taken against directors of placement agencies, know what will happen next

झारखंड शराब घोटाला केस में आरोपी 2 प्लेसमेंट एजेंसियों के 7 निदेशक फरार है. मामले की जांच कर रही एसीबी ने निदेशकों की गिरफ्तारी के लिए सभी संभावित ठिकानों पर छापेमारी की लेकिन, वे गायब मिले.

इन कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ जारी हुआ वारंट

गौरतलब है कि एसीबी ने 38 करोड़ रुपये के शराब घोटाला केस में प्लेसमेंट एजेंसी विजन हॉस्पिटिलिटी और मार्शन इनोवेटिव को फर्जी बैंक गारंटी देने का आऱोपी माना है. मार्शन के 3 और विजन के 4 निदेशकों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.

आपको बता दूं कि एसीबी ने पहले इन कंपनियों के निदेशकों को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए तलब किया था लेकिन कई बार बुलाने पर भी वे नहीं आये. एसीबी का मानना है कि आरोपों में काफी हद तक सच्चाई है और यदि उनसे विस्तृत पूछताछ की गयी तो सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं.

ACB आरोपियों की तलाश में जुटी

हिंदुस्तान में छपी खबर के अनुसार, कंपनियों के निदेशकों की तलाश में एसीबी की टीम ने महाराष्ट्र के ठाणे, मुंबई के साथ –साथ गुजरात के अहमदाबाद में भी छापेमारी की, लेकिन किसी भी आरोपी का कोई सुराग नहीं मिल पाया.

गौरतलब है कि एसीबी ने जांच के दौरान विजन और मार्शन नाम की कंपनियों के सात निदेशकों की शराब घोटाले में संलिप्तता पाई है. उनमें विजन हॉस्पिलिटी सर्विस एंड कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड के विपिन जाधव भाई परमार, महेश शेगड़े, परेश अभिसिंह ठाकुर, विक्रमसिंह अभिसिंह ठाकुर और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के जगन तुकाराम देसाई, कमल जगन देसाई और शीतल जगन देसाई शामिल है. केस दर्ज करने के दौरान एसीबी ने इन दोनों कंपनी के अज्ञात निदेशक सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया था.

करोड़ रूपये की जमा की गई थी फर्जी बैंक गारंटी

गौरतलब है कि एसीबी को जांच के दौरान इस बात के तथ्य मिले कि विजन कंपनी ने शराब दुकान में मैन-पावर सप्लाई करने का काम लेने के लिए 5 करोड़ 35 लाख 35 हजार 241 रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी जबकि मार्शन कंपनी ने 5 करोड़ 2 लाख 7 हजार 576 रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी.

एसीबी की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि इन कंपनियों ने वर्ष 2023 से ही फर्जी बैंक गारंटी देकर विभाग के पदाधिकारियों के सहयोग से शराब की पूर्व राशि को विभाग में जमा नहीं किया.

बता दें कि मेसर्श मार्शन इनोवेटिव सेक्यूरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का चयन धनबाद में मानव संसाधन प्रदाता के तौर पर किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के प्रतिनिधि योगी आचारी के द्वारा 28 नवबंर 2023 को 5,02,07,576 रुपये की एसीबीआई की बैंक गारंटी जमा की गई. बैंक से इसके सत्यापन के लिए जेएसबीसीएल ने पत्र भी लिखा. तब बैंक के द्वारा 6 दिसंबर 2023 को ही बताया गया कि किसी ने गलत तरीके से फर्जी बैंक गारंटी बनायी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई के रत्नेश्वर ब्रांच ने कोई बैंक गारंटी जारी नहीं की. 7 दिसंबर 2023 को JSBCL के जीएम फाइनेंस ने कंपनी को शोकॉज किया. तब मार्शन कंपनी ने संबंधित SBI बैंक को ही दोषी बता दिया. 8 दिसंबर 2023 को फिर बंधन बैंक की बैंक गारंटी जमा करायी गई.

बंधन बैंक ने गारंटी को बताया था फर्जी

बंधन बैंक से जुड़ी बैंक गारंटी भी 31 मार्च 2025 को खत्म होने वाली थी. जिसे लेकर हाईकोर्ट में कंपनी ने वाद दायर किया. हाईकोर्ट ने मार्शन के मामले में भी बैंक गारंटी की अवधि विस्तार से संबंधित आदेश 19 फरवरी 2025 को पारित किया. अवधि विस्तार के लिए बैंक से जेएसबीसीएल ने सत्यापन कराया तो बंधन बैंक ने भी बताया कि उनका लोगो व हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया गया है. बैंक गारंटी को फर्जी बताया गया.

गौरतलब है कि मेसर्स विजन हॉस्पिटलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड मेसर्स विजन हॉस्पिटलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन हजारीबाग, कोडरमा और चतरा में मानव संसाधन प्रदाता के तौर पर किया गया था. एसीबी ने जांच में महेश सिदगे, बिपिन जाधवभाई परमार, परेभ अभेसिंह ठाकोर, विक्रमसिंह अभिसिंह ठाकोर को दोषी पाया है. जैसा की मैने आपको शुरूआत में ही बताया. अब इन सभी की तलाश एसीबी को है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्लेसमेंट एजेंसी के द्वारा 27 अगस्त 2023 को कंपनी के प्रतिनिधि नीरज कुमार के हस्ताक्षर से 5,35,35,241 रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा करायी गई. 28 दिसंबर 2023 को फिर कंपनी के निदेशक महेश सिदके के हस्ताक्षर से बैंक गारंटी जमा करायी गई.

इसके पीछे वजह बताया गया कि आंतरिक बदलाव के कारण ऐसा किया गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब एंड सिंध बैंक की बैंक गारंटी जमा करायी गई. हालांकि एसीबी ने अपनी जांच में पाया है कि नई बैंक गारंटी की जांच के लिए 10 जनवरी 2024 को लिखा गया, लेकिन जांच नहीं करायी. यहां तक की किसी भी स्तर से फिर उत्पाद विभाग या जेएसबीसीएल ने बैंक गारंटी की जांच नहीं करायी.

9 जनवरी को बैंक गारंटी जब्त करने का दिया था आदेश

इसी बीच विक्रय के विरुद्ध अंतर राशि जमा नहीं करने पर 9 जनवरी 2025 को विभाग ने बैंक गारंटी जब्त करने का आदेश दिया. फर्जी बैंक गारंटी जमा करने को लेकर कंपनी को 8 अप्रैल 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, तब कंपनी के निदेशक महेश सिदगे ने कहा कि उनके लोकल प्रतिनधि नीरज कुमार सिंह और श्याम शरण के द्वारा धोखाधड़ी कर उक्त कार्य को अंजाम दिया गया है.

बहरहाल, अब कंपनियों के निदेशक एसीबी की गिरफ्तार से फरार है लेकिन एसीबी की टीम भी सभी आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है. अब देखना होगा कि एसीबी इन कंपनियों के निदेशको कब पकड़ती है.

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