नयी दिल्ली। दिल्ली में पहली बार केजरीवाल सरकार ने कृत्रिम बारिश कराने का फैसला किया है। सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा, तो लोगों को पहली बार 20-21 नवंबर के आसपास आसमान से यह आर्टिफिशियल बारिश देखने को मिल सकती है। दिल्ली सरकार ने इसकी प्लानिंग कर दी है। आईआईटी कानपुर ने ट्रायल कर पूरा प्लान दिल्ली सरकार को सौंप दिया है। सरकार यह जानकारी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को भी देने वाली है।

बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार का भी सहयोग मिले। जब से यह खबर पता चली है लोगों के मन में सवाल उठने लगे होंगे कि बादलों से अपने आप बारिश नहीं होगी, ये कृत्रिम बारिश क्या होती है? दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बैठक बुलाई। बैठक के बाद गोपाल राय ने बड़ा ऐलान किया। वह बोले कि राजधानी दिल्ली में 20 और 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है।

गोपाल राय के आगे बताया कि अगर 20-21 नवंबर को आसमान में बादल रहे और सभी परमिशन मिल गई तो बारिश करवाई जाएगी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार शाम को ये मीटिंग आईआईटी कानपुर की टीम के साथ बुलाई थी। इसमें IIT कानपुर ने दिल्ली सरकार को पूरा प्लान सौंपा है। अब शुक्रवार को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी देगी। सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार का सहयोग दिलाने की गुजारिश करेगी।

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बीते कई जिन से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है. प्रदूषण की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल खड़े किए थे. यह कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) से कराई जाती है। दिल्ली के लिए यह प्रक्रिया नई भले हो, पर दुनिया में यह दशकों से हो रहा है। दरअसल, आसमान में जो प्रदूषण फैलाने वाले कण तैर रहे हैं, वे हवा के झोकों से जा सकते हैं या फिर बारिश से जमीन पर गिर सकते हैं। इससे प्रदूषण घट जाएगा।

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