रांची। नियोजन नीति पर हाईकोर्ट के झटके से पूरे झारखंड में हड़कंप है। अभ्यर्थी संशय में हैं, तो वहीं सरकार भी पशोपेश में पड़ी है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा नियम (संधोधित) 2021 यदि रद्द होती है तो राज्य सरकार को विभिन्न विभागों द्वारा गठित उन 90 नियुक्ति नियमावलियों में संशोधन करना होगा, जिनमें अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए झारखंड के शैक्षणिक संस्थानों से मैट्रिक और इंटरमीडिएट पास होना अनिवार्य किया गया है। जाहिर है, कई छात्र छात्रा अब इसे लेकर भी कोर्ट का रूख करने की तैयारी में है। वहीं नियोजन नीति पर राज्य सरकार भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।

इधर खबर है कि नियमावलियों में संशोधन के लिए एक बार फिर सभी विभागों को विधि विभाग, कार्मिक विभाग और कैबिनेट की स्वीकृति लेनी होगी। इससे पहले राज्य सरकार को जेएसएससी की नियुक्ति संचालन नियमावली में भी संशोधन करना होगा। इन प्रक्रियाओं में लगभग छह माह लग जाएंगे। यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय की ओर रुख करती है और वहां राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय आता है तो भी नियुक्ति प्रक्रिया लगभग तीन माह लटकी रह सकती है।

आपको बता दें कि नियोजन नीति की वजह से ही लंबे समय तक नियुक्तियां लटकी रही थी। वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू होने से दो माह तक कोई नई बहाली की प्रक्रिया आयोग द्वारा शुरू नहीं की जा सकी थी। इसके बाद हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति और नियोजन नीति को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में मामला होने के कारण नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। इस बीच आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के पद भी रिक्त रह गए। इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट द्वारा पिछली सरकार में लागू की गई नियोजन नीति रद किए जाने से कोई नई बहाली की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही थी। आयोग ने अंतिम बार 2019 के सितंबर-अक्टूबर में संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा तथा झारखंड एएनएम प्रतियोगिता परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी करते हुए आवेदन मंगाए थे। इसके बाद पिछली सरकार में गठित नियोजन नीति रद्द करने और नई नियमावली गठित करने के प्रयास में नवंबर 2021 तक कोई नई बहाली नहीं निकली।

10 हजार से अधिक पदों पर शुरू हो चुकी नियुक्ति प्रक्रिया रद्द हो चुकी है, वहीं 50,000 पदों पर नियुक्ति के लिए अनुशंसा जेएसससी को भेजी जानी थी, जिसपर भी ग्रहण लग गया है। कुल 40 श्रेणी के पदों के लिए अनुशंसा भेजने की तैयारी थी। सभी अब अटक गये हैं। झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) परीक्षा नियम 2021 को रद्द कर दिया, जिसमें आवेदकों के लिए राज्य के स्कूलों से कक्षा 10 और 12 पास करना अनिवार्य था। यदि सरकार कोर्ट के इस फैसले का अनुपालन करती है तो भर्ती की नई प्रक्रिया को शुरू करने में कम से कम छह का समय लगना तय हैं।
इस हालात में अब झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के पास अब दो विकल्प बचे हैं। पहला विकल्प तहत सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उक्त नियमावली सहित इस नियमावली के तहत हुई नियुक्तियों और चल रही नियुक्ति प्रक्रियाओं को रद्द कर नए सिरे नियमावली तैयार करे। दूसरे विकल्प के तहत राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।

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