रांची। झारखंड की सियासत का सस्पेंस जारी है। ना राजभवन से चिट्ठी आ रही है और चुनाव आयोग अधिसूचना जारी कर रहा है। लिहाजा राजनीति में छाया धुंध अभी तक साफ नहीं हो पाया है। रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने पत्र जारी कर राजभवन पर जमकर भड़ास निकाली। पत्र की शुरुआत में JMM ने कानून का हवाला दिया. फिर राजभवन की चुप्पी पर सवाल दागे। झामुमो ने कहा कि ऐसी देरी की वजह से ही खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलता है। वहीं, झामुमो नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत आज तक किसी की सदस्यता नहीं गयी है. इसके बाद भी सीएम हेमंत सोरेन की घेराबंदी की जा रही है. राज्य का विकास ठप हो गया है. राज्यपाल के पास जो भी संवाद आया है, वह उसका खुलासा करें. नहीं तो हार्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा.

पत्र में जेएमएम ने कहा- झारखंड में एक गैंग चल रहा है और यहां आदिवासी मुख्यमंत्री होने की बात किसी को पच नहीं रही है। झामुमो ने लिखा है कि झारखंडी हक के लिए झुकाना भी जानते हैं। आखिर में राज्यपाल को संविधान को जिम्मेदारी को बोध भी कराया।

 पढ़िए पत्र की प्रमुख बातें…

Representation of the people act 1951, section 9 (A) जिसके अंतर्गत हेमंत सोरेन के सदस्यता रद्द करने की अटकलें लगाई जा रही हैं। ऐसे मामले में आज तक कभी भी किसी की सदस्यता रद्द नहीं हुई तो फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर ऐसा बर्ताव क्यों?

झारखंड के परिवहन मंत्री और झामुमो के उपाध्यक्ष चंपई सोरेन ने कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदन में सदस्यता रद्द करने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के नाम पर एक राजनीतिक माहौल बनाया गया है। चुनाव आयोग का पत्र पहले से ही राज्यपाल के पास है लेकिन वह इस पर बयान नहीं दे रहे हैं। यह राज्य के लोगों को परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं है जिसने एक लोकप्रिय सरकार चुनी है। वे संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं।”

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