हजारीबाग । झारखंड प्राइवेट स्कूल संगठन का सातवां वार्षिक सम्मेलन बुधवार को पैराडाइज रिसोर्ट हजारीबाग में संपन्न हुआ. इसमें जिलेभर से जुटे 5000 शिक्षकों और संचालकों ने राज्य सरकार के नियम का विरोध किया. वहीं सरकार के नियमों के विरोध में बुधवार को हजारीबाग के लगभग सभी बिना मान्यता प्राप्त स्कूल बंद रहे. वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने के बाद स्टे लगा दिया गया था, बावजूद इसके सरकार परेशान कर रही है. इस कानून के तहत सिर्फ बड़े और ब्रांडेड स्कूल ही झारखंड में चल पाएंगे.

स्कूल संचालक को मिला अंबा प्रसाद का साथ

बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने स्कूल संचालक और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि उन लोगों की मांगों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा. निजी स्कूल ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. कई नए नियम लागू किए गए हैं. नियम लागू करने के लिए सरकार को भी समय देना चाहिए. यह संवेदनशील सरकार है और निजी स्कूलों के प्रति संवेदना भी रखती है. बहुत जल्द ही सरकार इस पर भी अवश्य कदम उठाएगी. आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाएगा.

सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा

सम्मेलन में हजारीबाग सदर विधायक मनीष जयसवाल ने कहा कि सरकार ने जो आदेश निर्गत किया है, वह गलत है. स्कूल बेहतर ढंग से चले, इसे लेकर सरकार को बात कि जाएगी. इसके लिए सरकार को सोचना भी चाहिए. सरकार को ऐसे स्कूलों को वित्तीय सहायता भी देनी चाहिए ताकि स्कूल अपग्रेड हो सके. उन्होंने आश्वासन दिया कि प्राइवेट स्कूल संगठन ने जो मांग रखी है, उसे उचित फोरम में रखा जाएगा।

28 जुलाई से झारखंड में मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है और इसमें प्रश्न रखने का समय समाप्त हो गया है. ऐसे में आने वाले मॉनसून सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर के साथ रखा जाएगा. उन्होंने संचालकों से कहा कि स्कूल चलाने में तीन स्टेकहोल्डर होते हैं, बच्चे, शिक्षक और अभिभावक. सभी के साथ सामंजस्य स्थापित करने के बाद ही स्कूल चलता है. निजी स्कूल विकट परिस्थिति में चलाए जा रहे हैं और उनके दर्द को वह भली-भांति समझते हैं.

झारखंड की शिक्षा हो जाएगी महंगी

स्कूलों के लिए जमीन का दाम दोगुना कर दिया गया और कई तरह के नए-नए कानून लगा दिए गए. छोटे स्कूल जो गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, उन में भय पैदा हो गया. अगर यह कानून निरस्त नहीं होता है, तो झारखंड की शिक्षा महंगी हो जाएगी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों और मध्यम वर्ग के परिवार के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.

संचालक के संगठन का यह भी कहना है कि जिले में 2276 निजी स्कूल चल रहे हैं, जिसमें 1700 स्कूलों को यू-डैस प्राप्त है. इसमें लगभग पांच लाख बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. अधिवेशन में 1500 से अधिक स्कूलों के प्राचार्य और 2,000 से अधिक स्कूलों के शिक्षकों ने हिस्सा लिया.

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