गुमला : गुमला जिला एक्सीडेंट जोन हैं। हर साल 170 से भी अधिक मौतें सिर्फ सड़क हादसों से होती है। जबकि तीन सौ से चार सौ लोग सड़क हादसे में घायल होते हैं। इसमें कई लोग अपंग होकर घर पर बैठ जाते हैं या फिर सालों भर उनका इलाज चलते रहता है। इसमें कई हादसे लापरवाही से भी घटती है। जबकि कुछ हादसे गाड़ी की तेज रफ्तार के कारण होती है।

कुछ एक्सीडेंट गुमला शहर की सड़कों कारण भी होती है। एक्सीडेंट होने के बाद जागरूकता की कमी कारण कई परिवार मुआवजा भी नहीं ले पाते हैं। जबकि एक्सीडेंट के बाद मृतक को मुआवजा देने का प्रावधान है। किसी भी अज्ञात गाड़ी से एक्सीडेंट होने पर डीटीओ विभाग में आवेदन जमा करने पर 2 लाख रुपए मुआवजा मिलने का प्रावधान है। वहीं अगर एक्सीडेंट के बाद गाड़ी की पहचान हो जाती है तो आपदा प्रबंधन के तहत 1 लाख रुपए मुआवजा मिलेगा।

ये पहल करने जा रहा है जिला प्रशासन

उपायुक्त सुशांत गौरव ने सड़कों पर आवश्यक सुरक्षा के दृष्टिकोण से सड़क किनारे लगे पेड़ों में रेडियम स्टीकर लगाने, टर्निंग मोड़ से गाड़ी हटाने, शहर में पर्याप्त स्ट्रीट लाइट एवं एंट्री प्वाइंट पर हाई मास्ट लाइट लगाने पर बल दिया है। डीसी ने कहा है कि हिट एंड रन का कोई भी मामला पेंडिंग ना रहे और दुर्घटना पीड़ित को सहायता राशि देने के लिए प्रचार प्रसार करने की बात कही।

ये प्रमाण पत्र करना जमा करना है जरूरी

मुआवजा लेने के लिए मुआवजा लेने के लिए कुछ प्रमाण पत्र जमा करना पड़ता है। जिसमें मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एक्सीडेंट के बाद थाना में दर्ज FIR की कॉपी, मृतक आश्रित का आधार कार्ड, बैंक पासबुक, अंचल से परिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र, मृतक का आधार कार्ड जमा करना जरूरी है। जिससे मुआवजा प्राप्त करने में आसानी होती है।

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