झारखंड : RIMS की लापरवाही का बड़ा खुलासा…समय पर इलाज नहीं मिलने से मासूम की मौत
Jharkhand: Big revelation of RIMS's negligence... Innocent dies due to not getting timely treatment

रांची : झारखंड की राजधानी रांची स्थित रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) एक बार फिर अपनी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में है। मरीजों के लिए बना यह सबसे बड़ा अस्पताल अब खुद बीमार व्यवस्था का शिकार बन चुका है। बुधवार को हुई एक दर्दनाक घटना ने सिस्टम की सच्चाई सामने ला दी।
Jamshedpur से रेफर हुआ था चार दिन का बिरहोर नवजात, सांस लेने में थी परेशानी
बुधवार दोपहर करीब 1:30 बजे जमशेदपुर से एक चार दिन का बिरहोर समुदाय का नवजात बच्चा गंभीर हालत में रिम्स लाया गया। बच्चे को जन्म से ही सांस लेने में दिक्कत थी और वह रोया भी नहीं था। एमजीएम जमशेदपुर में प्रारंभिक इलाज के बाद उसे बेहतर चिकित्सा के लिए रांची रिम्स रेफर किया गया।
Central Emergency से Pediatric Ward तक भटकते रहे परिजन
रिम्स की सेंट्रल इमरजेंसी में लाने के बाद भी बच्चे को तत्काल इलाज नहीं मिला। स्टाफ ने परिजनों को कहा कि पहले पीडियाट्रिक वार्ड जाकर पूछिए कि वहां बेड खाली है या नहीं। इसके बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। परिजन बेड की जानकारी लेकर लौटे और एंबुलेंस से बच्चे को पीडियाट्रिक वार्ड लेकर गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
डॉक्टरों ने बच्चे की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया। मासूम की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना, कई मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही तोड़ देते हैं दम
यह पहली बार नहीं है जब रिम्स की लचर व्यवस्था किसी मासूम की जान ले गई हो। चार दिन पहले ही रीता सबर नाम की महिला ने एमजीएम जमशेदपुर में एक बच्चे को जन्म दिया था। सामान्य प्रसव था, लेकिन नवजात को सांस लेने में तकलीफ थी। ऐसे मामलों में अक्सर मरीजों को रिम्स रेफर किया जाता है, लेकिन यहां पहुंचने पर उन्हें तुरंत इलाज नहीं मिल पाता।
प्रशासनिक लापरवाही या सिस्टम फेल
हर दिन दर्जनों मरीज रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में सिर्फ भर्ती होने के लिए घंटों तक एंबुलेंस में अपनी जिंदगी की जंग लड़ते रहते हैं। कुछ इस जंग को जीत जाते हैं, लेकिन कई लोग समय से इलाज नहीं मिलने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या व्यवस्था की यह खामियां कभी ठीक होंगी या ऐसे ही मासूमों की जान जाती रहेगी?
रिम्स की यह घटना न केवल एक बच्चा खोने की त्रासदी है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा तमाचा है। एक ओर सरकार ‘बेटी बचाओ’ जैसे अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर सिस्टम की लापरवाही मासूम जिंदगियों को निगल रही है। जरूरत है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।