रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोल लेवी स्कैम में IAS रानू साहू को राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। रानू साहू को जुलाई महीने में ED ने कोल लेवी मामले में गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने रानू साहू को 18 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया है। इधर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने IAS को सस्पेंड कर दिया है। छत्तीसगढ़ में घोटाले में IAS अफसर पर निलंबन की ये दूसरी कार्रवाई है।

2010 बैच की IAS रानू साहू कई जिलों की उपायुक्त रह चुकी है। 22 जुलाई को रानू साहू को ईडी ने गिरफ्तार किया था। राज्य सरकार ने IAS रानू को 22 जुलाई की डेट से उन्हें निलंबित किया है। दरअसल ED की जांच में इस बात का पता चला था कि कोल स्कैम केस में सूर्यकांत तिवारी के साथ आईएएस रानू साहू का क्लोज एसोसिएशन है। कोयले से जुड़ी लेवी का सारा कारोबार कोरबा से हो रहा है।

रानू साहू जब छत्तीसगढ़ के कोरबा की उपायुक्त थीं इस दौरान सूर्यकांत तिवारी ने कमीशन का पैसा रानू साहू को दिया। उस घूस की राशि से आईएएस साहू ने संपत्तियों को खरीदा, जिसके बाद ने रानू की 5.52 करोड़ रुपए की सम्पत्ति का अटैचमेंट किया था।

कौन हैं IAS रानू साहू
आपको बता दें कि रानू साहू साल 2005 में डीएसपी बनी थीं। रानू साहू ने ग्रेजुएशन के बाद पुलिस की तैयारी करने फॉर्म भर दिया था। हाईकोर्ट ने रिज्ल्ट पर रोक लगा दी थी लेकिन जब दोबारा रिजल्ट घोषित किया गया तो वो पास हो गई और रैंक के हिसाब से रानू साहू को डीएसपी का पद दिया गया। पुलिस की सर्विस के साथ ही उन्होंने IAS की भी तैयारी जारी रखी। 2010 में उन्होंने यूपीएससी क्ल्यिर कर आईएएस सलेक्ट हुई। छत्तीसगढ़ में अब तक वे चार जिलों की कलेक्टर रह चुकी हैं।

इस तरह से हुआ था कोल लेवी घोटाला
2016 बैच के IAS अधिकारी समीर विश्नोई को ED ने पिछले साल 13 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। न्यायालय में उन्हें पहले आठ दिन और बाद में 6 दिन के लिए ED को रिमांड पर दिया था। यह रिमांड 27 अक्टूबर को पूरी हो रही थी। तब तक सरकार ने विश्नोई को कोई एक्शन नहीं लिया। इस बीच 19 अक्टूबर को एक आदेश जारी कर छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स में रितेश अग्रवाल को अस्थायी तौर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। तब से विश्नोई जेल में हैं।ED ने अदालत को जो बताया है उसके मुताबिक 15 जुलाई 2020 को खनिज साधन विभाग के तत्कालीन संचालक समीर विश्नोई ने एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना ने किसी भी तरह के खनिज के परिवहन की अनुमति के लिए चल रही ऑनलाइन व्यवस्था को खत्म कर दिया।10 अगस्त 2020 को जारी एक और अधिसूचना से खनिज परिवहन अनुमति के लिए केवल मैन्युअल पद्धति को अनिवार्य कर दिया गया। ED का कहना है, इस अधिसूचना के जरिये राज्य में पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया को खत्म कर दिया। उसके बाद खनिज शाखा से परमिट लेना अनिवार्य हो गया। इस व्यवस्था ने भ्रष्टाचार बढ़ाया। इसकी वजह से अवैध वसूली का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया।

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