रांची। झारखंड में चंपई मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। चंपई सरकार में मुख्यमंत्री सहित 11 मंत्री हो गए हैं। मुख्यमंत्री के साथ दो मंत्री ने शपथ लिया था, जबकि शुक्रवार को 8 मंत्री ने शपथ ली। झारखंड मुक्ति मोर्चा के 5 और कांग्रेस कोटे से 3 विधायक मंत्री बने। कांग्रेस ने मंत्रिमंडल के पुराने चेहरे को ही बरकरार रखा है। जबकि झामुमो ने दो नये चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। आठ में से 6 मंत्री पहले भी हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सिर्फ बसंत सोरेन और दीपक बिरुआ को पहली बार मंत्री बनाया गया है। अंतिम समय में कांग्रेस विधायक बैद्यनाथ राम का नाम कट गया।

अपने नये मंत्री को जानिये
रामेश्वर उरांव- चंपई कैबिनेट में सबसे बुजुर्ग रामेश्वर उरांव हैं। 76 साल के रामेश्वर उरांव ने डाक्टरेट की डिग्री ले रखी है। केंद्र में मंत्री रह चुके रामेश्वर उरांव को मौजूदा सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाया गया है। 2004 में लोहरदगा से सांसद बने रामेश्वर उरांव 2019 में लोहरदगा से ही विधानसभा चुनाव जीते थे। वह हेमंत सोरेन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं. वह लोहरदगा सीट से विधायक हैं।

दीपक बरुआ- दीपक बरुआ पहली बार मंत्री बने हैं। चाईबासा से चुनाव जीतने वाले दीपक बरुआ 51 साल के हैं। उन्होंने स्नातक तक की डिग्री ली है। 2005 और 2009 में वो चाईबासा से चुनाव हारे, लेकिन फिर 2014 और फिर 2019 में चाईबासा से ही झामुमो की टिकट पर चुनाव जीते। वो पहली बार मंत्री बने हैं।

बन्ना गुप्ता – बन्ना गुप्ता का चंपई कैबिनेट में कद काफी मजबूत हुआ है। बन्ना गुप्ता को पूर्व की भांति स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा मिला है। उन्हें आपदा प्रबंधन विभाग का भी जिम्मा दिया गया है। जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव जीतने वाले बन्ना गुप्ता 10वीं पास हैं। 51 साल के बन्ना 2009 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे, उस दौरान भी वो मंत्री बने, 2019 में चुनाव जीतने पर फिर से उन्हें मंत्री बनाया गया है।

बादल पत्रलेख– जरमुंडी विधायक बादल पत्रलेख 47 साल के हैं। 12वीं तक पढ़ाई करने वाले बादल कांग्रेस की टिकट पर जरमुंडी से चुनाव जीते हैं। उन्होंने दो बार इस विधानसभा से चुनाव में जीत दर्ज की है। हेमंत सोरेन सरकार में कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. 2014 से जरमुंडी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

मिथिलेश ठाकुर – मिथिलेश ठाकुर गढ़वा से चुनाव जीतते हैं। 2019 में वो पहली बार चुनाव जीते और फिर हेमंत सरकार में मंत्री बने। अब चंपई सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया है। 57 साल के मिथिलेश स्नातक तक की पढ़ाई की है। ठाकुर भी पूर्व की जेएमएम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

बसंत सोरेन– हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को पहली बार मंत्री बनाया गया है। 2019 में पहली बार चुनाव जीते बसंत सोरेन 10वीं तक पढ़े हैं। 42 साल के बसंत सोरेन को 2016 में राज्यसभा चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। दुमका सीट छोड़कर बरहेट से विधायक बनने हेमंत सोरेन की छोड़ी सीट पर बसंत सोरेन ने जीत हासिल की थी।

हफिजुल हसन- चंपई सरकार में एक चेहरा हफीजुल हसन का भी है। बसंत सोरेन, शिबू सोरेन के बेटे हैं और दुमका सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह झारखंड की युवा इकाई के अध्यक्ष हैं। 50 साल के हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी कद्दावर नेता रहे हैं। 2021 में उनके निधन के बाद खाली हुई मधुपुर सीट पर वो उपचुनाव जीते थे। उपचुनाव जीतने से पहले ही उन्हें मंत्रीपद दे दिया गया था। हफीजुल हसन ने डिप्लोमा तक की पढ़ाई की है।

बेबी देवी– बेबी दूसरी बार मंत्री बनी है। इससे पहले वो हेमंत सरकार में भी मंत्री थी। 8वीं पास बेबी देवी 48 साल की है। दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी पति के निधन के बाद खाली हुई डुमरी विधानसभा से उपचुनाव जीतकर विधानसभा आयी है। वह पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी हैं. पति के निधन के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और डुमरी से चुनाव लड़ा था. दरअसल, विधायक बनने से पहले ही उन्हें मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी. वह हेमंत सोरेन सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग देख रही थीं।

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