रांची। रिम्स की लचर व्यवस्था पर एक बार झारखंड हाईकोर्ट ने तीखी नाराजगी जतायी है। चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में रिम्स को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि कई बार आदेश के बाद भी रिम्स में सुधार नहीं हो रहा है। अदालत में अब इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया है।

रिम्स के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में झारखंड राज्य का नागरिक होना अनिवार्य कर दिया गया है। इस मामले को लेकर पिछली सुनवाई को इस पर रिम्स से जवाब मांगा था। जब इस मामले पर कोर्ट ने सवाल पूछा तो रिम्स की ओर से बताया गया कि उक्त शर्त को हटाने के लिए सुधार पत्र जारी किया गया था। अदालत ने पूछा कि ऐसा कब किया गया। रिम्स की ओर से कहा गया कि सुधार पत्र आवेदन के अंतिम दिन जारी किया गया। अदालत ने पूछा कि क्या सुधार के बाद आवेदन करने की तिथि बढ़ाई गई थी। रिम्स के ना कहने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। जिसके बाद  अदालत ने कहा कि फिर सुधार करने का कोई औचित्य नहीं है।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कई मुद्दों पर तीखी नाराजगी जतायी। अदालत ने कहा कि रिम्स अस्‍पताल में रोगियों का इलाज नहीं होता है। रिम्स खुद ही एक रोगग्रस्त संस्थान बन गया है, जिसे इलाज की सख्‍त जरूरत है। इसके बाद अदालत ने इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई निर्धारित की है।

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