साहिबगंज । जिले के बरहेट से आदिम जनजाति के तीन लोगों के मौत की खबर आ रही है। सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुधार के लाख दावे कर रही हो परंतु सरकार का ये दावा खोखला नजर आ रहा है। जहां समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की बात तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ।

आधुनिक युग में कुछ ऐसी घटना घटती है जो विकास के दावों की पोल खोलती है आज भी कई ऐसे गांव है जहां स्वास्थ्य सुविधाओं से कोसों दूर है ।

ताजा मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है जहां बरहेट प्रखंड के कुसमा संथाली पंचायत के मेटर गांव की है। पिछले कुछ दिनों से इस क्षेत्र में डायरिया का प्रकोप फैला हुआ है और इस बीमारी से आदिम जनजाति के तीन लोगों की मौत होने का मामला सामने आया है वही दर्जनों लोग इस बीमारी से आक्रांत है । मीडिया में खबर आने के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्था की उदासीनता सामने आ रही है।

डायरिया से इनकी हुई मौत

मृतकों में 50 वर्षीय बोबे मैसा पहाड़िया,

उसकी बहन 65 वर्षीय सोनी पहाड़िन एवं

20 वर्षीय सुरजी पहाड़िन शामिल हैं।

मामले की जानकारी मिलने पर बरहेट बीडीओ सोमनाथ बनर्जी, मुखिया देव सोरेन, समिति सदस्य खगेंद्र साह सहित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर हेमंत मुर्मू, डाक्टर पंकज कर्मकार,एएनएम रानी स्थिर सोरेन,बीटीटी केदार पंडित,सीएचओ गांव पहुंचकर डायरिया से पीड़ित लोगों का इलाज किया।

ये है आक्रांत

40 वर्षीय जलीया पहाड़ीन, 19 वर्षीय सखी पहाड़ीन, 40 वर्ष सुरजी पहाड़ीन, 10 वर्षीय खुशबू पहाड़ीन, 40 वर्षीय धर्मी 30 वर्षीय चांदी पहाड़ीन, 20 वर्षीय कादरी पहाड़ी के अलावा मृतक बोबे मैसा पहाड़िया के परिवार के 20 वर्षीय चंदा पहाड़िया,11 वर्षीय मंगले पहाड़िया,8 वर्षीय छोटा सुरेश पहाड़िया का इलाज प्रारंभ कर दिया गया है।

डीसी ने दिया टीम भेजने का निर्देश

साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर एवं नर्स की टीम को गांव भेजा है टीम के द्वारा कैंप लगाकर बीमार लोगों का इलाज किया जा रहा है । परंतु सवाल अब भी बड़े हैं की डायरिया जैसे बीमारी के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था सजग नहीं ऐसे में मौत के बाद ही विभाग क्यों जागती है?

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