जमुई । सरकार लाख दावे कर रही हो की शिक्षा और स्वास्थ्य हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है पर बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था की हर दिन नई नई तस्वीर सामने आ रही है जिसे देखकर आप सत्ता में बैठे जिम्मेवार लोगों को कोसने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव दिनभर जहां इफ्तार पार्टी मनाने में व्यस्त रहे वहीं विभाग की लचर व्यवस्था ने सत्ता की पोल खोल दी। आखिर किसी की जान बचाने से ज्यादा सरकार बचाने की जवाबदेही बड़ी नहीं हो सकती।

हम बात कर रहे हैं जमुई सदर अस्पताल की, जो हर दिन किसी न किसी कारण से चर्चा में बने रहना फितरत बन चुकी है।जमुई सदर अस्पताल में आए एक गंभीर मरीज की अवस्था देखते हुई चिकित्सक ने उसे पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। पटना ले जाने वाली एंबुलेंस में मरीज को चढ़ाने के बाद एंबुलेंस स्टार्ट ही नहीं हुई। स्थानीय लोगो ने मामले की गंभीरता देखते हुए एंबुलेंस में धक्का देना शुरू किया ।करीब 10-12 युवक ने काफी दूर तक एंबुलेंस में धक्का दिया उफके वावजूद एंबुलेंस स्टार्ट नही हुआ और अंततः मरीज की जान चली गई।

बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच सूबे के उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से ये सवाल पूछना लाजिमी है की स्वास्थ्य मंत्री जी आपने अपने पापा का इलाज तो सिंगापुर में करा दिए पर जहा एंबुलेंस स्टार्ट तक नहीं होता वहां पर इलाज कैसे होगा। इफ्तार पार्टी की राजनीतिक वजह हो सकती है पर आज जिन मरीज की जान चली गई उसकी कोई राजनीतिक वजह नही हो सकती। हर इंसान की जान उसके परिवार के लिए महत्वपूर्ण है। आखिर इन सब के बीच दोषी चाहें जो भी हो परंतु उसका खामियाजा मरीज को अपनी जान देकर पूरी करनी पड़ी।

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