रांची/जामताड़ा। झारखंड में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की जुर्रत तो देखिये ! अपनी कुर्सी बचाने के लिए विभाग को भी गुमराह करने से पीछे नहीं हटते। प्रदेश के सिविल सर्जनों का हाल तो माशाअल्लाह है। सुनकर चौक जायेंगे आप, कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने 9 साल के अधिक समय से एक ही जिले में पदस्थ डाक्टरों की तबादले के लिए जो लिस्ट तलब की थी, उनमें 42 डाक्टरों ने विकल्प चयन कर अपना नाम ही स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेजा।

धनबाद के सिविल सर्जन ने तो बकायदा मीडिया में ये बयान भी दिया कि वो सिविल सर्जन है, लिहाजा वो डॉक्टर की सूची से बाहर है। सिर्फ डा आलोक विश्वकर्मा ही नहीं, जामताड़ा के सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्रा सहित प्रदेश के आधा दर्जन सिविल सर्जन और सीएमओ ने भी अपनी लिस्ट राज्य सरकार को नहीं भेजी। विभाग के निर्देश के मुताबिक डा सुरेंद्र मिश्रा को तबादले के लिए विकल्प चयन कर लिस्ट भेजनी थी, लेकिन उन्होंने आदेश को ठेंगा दिखा दिया।

हालांकि विभाग ने अब इन सभी 42 डाक्टरों की, जिसमें 36 मेडिकल अफसर और 6 स्पेशलिस्ट डाक्टर, की लिस्ट सार्वजनिक की है और उनसे विकल्प की जानकारी तलब की है। जाहिर है विभाग के आदेश को ठेंगा दिखाने वाले सिविल सर्जन सहित उन 42 डाक्टरों का तबादला तय है, जिन्होंने शासन के आदेश से ऊपर खुद को मान लिया था। जामताड़ा के सिविल सर्जन सुरेंद्र कुमार मिश्रा साढ़े 15 साल से जामताड़ा में पदस्थ हैं। अब विभाग के आदेश के बाद डॉ सुरेंद्र को भी तबादले के लिए अपनी विकल्प चयन कर भेजना होगा।

खबर है कि विभाग ने उन डाक्टरों को हटाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो लंबे समय से एक ही जिले में पदस्थ हैं। जल्द ही विभाग की तरफ से तबादला लिस्ट जारी होने की भी उम्मीद है। जामताड़ा सिविल सर्जन डा सुरेंद्र जिले में कई जगहों पर अलग-अलग पदों पर पदस्थ रहे हैं, नियम के मुताबिक सालों पहले ही उनका तबादला अन्य जिलों में हो जाना चाहिये था, लेकिन मालूम नहीं कि ये विभाग की कमजोरी थी, या फिर रसूख का असर, 15-15 साल से जमे होने के बावजूद उन्हें जामताड़ा में रहने का अभयदान दे दिया गया।

विभागीय सूत्रों की मानें तो अगले साल चुनाव होना है, उससे पहले ही राज्य सरकार बड़े पैमाने पर सर्जरी करने की तैयारी है। ऐसे भी चुनाव के पहले आयोग के निर्देश पर लंबे समय से एक ही जगह पर मठाधीश बनकर बैठे अफसरों को हटाने का आदेश जारी होता ही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि हेमंत सरकार ने चुनाव के एक साल पहले से ही प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी कर ली है। इसके लिए सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, उन तमाम विभागों को भी तबादले के लिए निर्देश जारी किया है, जहां लंबे समय एक ही जिले में पदस्थ है। जाहिर है शासन को गुमराह कर एक ही जिले में बैठे डाक्टर, सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारियों का भी हटना अब तय है।

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