रांची । स्वास्थ्य विभाग इन दिनों हड़ताल के दौर से गुजर रहा है। जिनके कार्य के ऊपर सरकार अपना पीठ थपथपा रही थी अब वही कर्मी अपना काम के बदले दाम मांग रहे हैं। इसके वावजूद सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। 16 जनवरी से स्वास्थ्य ब्यस्था बदहाल है। मरीजों का अस्पताल से लौटने का दौर जारी है। परंतु सरकार न तो इन आंदोलन कारी से बात कर कर रही है , न ही इनके मांगों के प्रति संवेदनशील दिख रही है।

शुक्रवार को राज्य भर के CHO अभियान निदेशक को घेरने पहुंचे। ये कर्मी भी अपने मांगों को पुरा नहीं करने पर 30 जनवरी से हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी। इनका कहना है की सरकार हमारे हितों की अनदेखी कर रही है। 3 वर्ष के अनुबंध पर बहाल की गई थी। जिसमें 25 हजार के मानदेय और इंसेंटिव की बात कही गई है। पिछले 1 वर्ष से इंसेंटिव भी नहीं दिया गया है। इसके बाद भी हर दिन विभाग के तरफ से नए नए कार्य का आदेश जारी कर दिया जाता है जिससे हम सभी शोषित हो रहे है।

सेवा नियमितीकरण की मांग लगातार करने के वावजूद विभाग सकारात्मक पहल नही कर रही है। मजबूरन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। जल्द मांगों पर ध्यान न दिया गया तो 30 जनवरी से राज्य भर के करीब 1600 CHO हड़ताल पर चले जायेंगे। CHO कर्मी ने कहा की हेल्थ एंड वेलनेस केंद्र चलाने की जिम्मेदारी हमें दी गई है। परंतु हमें सुविधा की ओर सरकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कभी रात में भी अचानक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग का फरमान आ जाता है। इसलिए कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर जाने को विवश हो जायेंगे।जिसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।

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