बजट में कर्मचारियों को मिल सकता है ये चार फायदा… वित्त मंत्रालय कर रहा है विचार, होगा बड़ा फायदा

नयी दिल्ली: 1 फरवरी यानी कल आम बजट 2023 (Union Budget 2023) पेश होगा। बजट की तैयारी जोरों पर है। देश का बजट वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के परामर्श के आधार पर तैयार किया जाता है। हर बार की तरह इस बार भी बजट 2023 (Budget 2023 Expectations) से आम से लेकर खास लोगों को काफी उम्मीदें हैं। आगामी बजट को लेकर आम लोगों को उम्मीद है कि इस बार उन्हें सरकार की तरफ से थोड़ी राहत दी जाएगी।

TAX स्लैब में बदलाव की उम्मीद

किसी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए मौजूदा टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम छूट की लिमिट है. जिसमें 2014-15 से बदलाव नहीं हुआ है. इसका मतलब है कि इस लिमिट से कम आय वाले व्यक्तियों को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, 2.5 से पांच लाख तक इनकम पर पांच फीसदी और पांच से 7.5 लाख इनकम पर 20 फीसदी टैक्स भरना पड़ता है। अब आगामी बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और सोशल स्कीम पर बढ़ेगा खर्च

केंद्र सरकार की ओर से इस साल के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खर्च बढ़ने की उम्मीद है. इसके साथ ही आने वाले वर्षों में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लॉन्च होने की संभावना है. चूंकि यह 2024 के आम चुनावों से पहले का बजट होगा, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सोशल वेलफेयर स्कीम लिए अधिक फंड आवंटित कर सकती है।

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स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव

इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्सपेयर्स को 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) पर छूट मिलती है. अब टैक्सपेयर्स को यह भी उम्मीद है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 से बढ़ाकर 100,000 रुपये कर सकती है. वहीं, एक्सपर्ट के अनुसार, लिविंग कॉस्ट बढ़ने, और बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को दोगुना किया जाना चाहिए।

होम लोन पर डिडक्शन लिमिट बढ़ने की उम्मीद

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 (बी) के अनुसार, टैक्सपेयर्स होम लोन (Home Loan) पर भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स डिडक्शन (Tax Deductions) का बेनिफिट ले सकते हैं. हालांकि, इस तरह की कटौती की सीमा 2 लाख रुपये प्रति वर्ष है. इसमें वित्त वर्ष 2014-15 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है. अब इस लिमिट को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सलाना करने की मांग हो रही है. वहीं, पिछले कुछ वर्षों में संपत्तियों की कीमत में वृद्धि के साथ टैक्स डिडक्शन लिमिट बढ़ने की संभावना है।

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