रांची: झारखंड के लोगों को आज बड़ी राहत मिल सकती है। मुख्‍यमंत्री उनके लिए कोई बड़ा एलान कर सकते हैं। राज्‍य में 154 प्रखंड गंभीर रूप से सूखा हैं, जबकि 72 प्रखंड आंशिक रूप से सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं। यह रिपोर्ट कृषि निदेशालय की है, जिसे आपदा प्रबंधन प्रभाग को भेजा गया है। कृषि निदेशालय की यह रिपोर्ट शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रस्तावित आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में रखी जाएगी, ताकि सूखाग्रस्त प्रखंडों को लेकर प्राधिकार का अंतिम निर्णय हो सके। प्राधिकार के निर्णय से ही केंद्र को अवगत कराया जाएगा, उसके बाद सूखाग्रस्त प्रखंडों के लिए मिलने वाले अनुदान पर विचार होगा।

किन जिलों व प्रखंडों में गंभीर सूखे का प्रभाव

बोकारो- 6 प्रखंडों में मध्यम स्थिति
चतरा- तीन प्रखंड में सामान्य, दो प्रखंडों में गंभीर स्थिति
देवघर- 10 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
धनबाद- 10 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
दुमका- 10 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
गढ़वा- 20 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
गिरिडीह- 13 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
गोड्डा- 09 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
गुमला- घाघरा-रायडीह में गंभीर स्थिति
हजारीबाग- 13 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
जामताड़ा- छह प्रखंडों में गंभीर
खूंटी- 6 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
कोडरमा- 5 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
लातेहार- 7 प्रखंडों की गंभीर स्थिति
पाकुड- 6 प्रखंडों की गंभीर स्थिति
पलामू- 21 प्रखंडों की गंभीर स्थिति
रांची- चान्हो और सोनाहातू में गंभीर
साहिबगंज- 9 प्रखंडों में गंभीर स्थिति
प सिंहभूम- चाईबासा, खूंटपानी और आनंदपुर में गंभीर स्थिति

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बीते 12 सितंबर को हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों को सुखाड़ की जमीनी हकीकत का आकलन के निर्देश दिए गये थे। जिसके बाद कृषि विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखा प्रभावित माना गया है. जिसमें पलामू प्रमंडल सबसे ज्यादा सुखाड़ प्रभावित है जबकि पूर्वी सिंहभूम और सिमडेगा सुखाड़ से प्रभावित नहीं है. कृषि विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में धान की बुआई 15 अगस्त तक होती है हालांकि 31 जुलाई के बाद होने वाली धान की खेती में उत्पादन प्रभावित होता है। इस वर्ष 31 जुलाई तक राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई का लक्ष्य था जिसके मुकाबले में सिर्फ 2.84 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हुई थी। अगस्त में यह बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंचा था।

पिछले 10 वर्ष के दौरान पहली बार ऐसा देखा गया जब जून और जुलाई में किसी भी दिन 24 घंटे में 65 मिलीलीटर से ज्यादा बारिश नहीं हुई। जिस वजह से खरीफ की फसल इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है।

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