धनबाद जिले के उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की। समीक्षा बैठक में बच्चों के नियमित टीकाकरण में उदासीनता बरतने को लेकर उपायुक्त खासे नाराज दिखे। वर्ष 2022 में बीते 9 महीने में धनबाद में 14 जगहों पर खसरा का आउटब्रेक हुआ है। इसमें से सबसे ज्यादा आउटब्रेक गोविंदपुर प्रखंड में हुआ है। सीधे तौर पर उपायुक्त संदीप सिंह ने गोविंदपुर चिकित्सा पदाधिकारी को इसके लिए दोषी माना है।

कारवाई करते हुए गोविंदपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एच रहमान का वेतन रोक दिया है। वहीं प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक प्रदीप सेन को कार्यों में उदासीनता बरतने का आरोप लगा है। प्रदीप सेन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। धनबाद में खसरा का प्रकोप से संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी।

नियमित टीकाकरण सत्र नहीं होने से गोविंदपुर प्रखंड में मिले ज्यादा मरीज

आपको बता दे की गोविंदपुर प्रखंड में करीब तीन माह तक नियमित टीकाकरण का सत्र आयोजित नहीं किया गया था। जिला की स्वास्थ्य विभाग ने जांच में यह पाया था गोविंदपुर प्रखंड के बच्चों में नियमित टीकाकरण सत्र आयोजित नहीं किया। सत्र नहीं कराने से काफी संख्या में बच्चे टीकाकरण से वंचित रह गए। गोविंदपुर प्रखंड इलाके में 8 जगहों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने खसरा के मरीज की पहचान की। लेकिन 48 से ज्यादा मरीज के गोविंदपुर प्रखंड में हीं है। जिला महामारी रोग नियंत्रण की ओर से इन बच्चों में खसरा का टीका और विटामिन ए की खुराक पिलाई जा रही है।

सहिया और एएनएम किया गया शो कॉज

लोयाबाद के गुलजार मोहल्ला में 8 से ज्यादा खसरा के मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग फिर से हरकत में आया। विभागीय जांच में 45 बच्चे ऐसे मिले जिन्होंने कभी भी किसी प्रकार का टीका नहीं लगाया था। जबकि क्षेत्र में सहिया और एएनएम की जिम्मेदारी टीकाकरण की है। साथ ही इस लापरवाही में अन्य के भूमिका की भी जांच की जा रही है।

किन प्रखंड में कितने मिले खसरा के मरीज

बलियापुर 5

निरसा 6

बाघमारा 6

झरिया सह जोडापोखर 6

धनबाद सदर 8

गोविंदपुर 48

लापरवाही बरतने वाले पर होगी कड़ी कार्रवाई

जिला के टीकाकरण पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार ने कहा है की गोविंदपुर प्रखंड में सबसे ज्यादा पीड़ित बच्चे मिले हैं। जिला प्रशासन की ओर से प्रभारी चिकित्सा प्रभारी पर कार्रवाई हुई है। इसके अलावा जिन लोगों के स्तर से लापरवाही हुई है सभी पर कार्रवाई होगी। विसंगति को दूर कर टीकाकरण बेहतर करने का प्रयास जारी है।

पीड़ित मरीज जांच रिपोर्ट आई पॉजिटिव

खसरा से पीड़ित बच्चों का सैंपल जांच के लिए कोलकाता स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला भेजा गया था।रिपोर्ट में यह पता चला है कि अधिकतर मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव है। रिपोर्ट आउटब्रेक होने के बाद स्वास्थ्य महकमा पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल विभाग ने जिले 0 से 5 वर्ष के बीच के बच्चों को नियमित टीकाकरण पर 90% से ज्यादा का लक्ष्य प्राप्त करने का दावा किया था। लेकिन प्रयोगशाला की रिपोर्ट आने के बाद यह दावा खोखला साबित हो गई।

आखिरकार कौन कौन है जिम्मेदार

प्राप्त जानकारी के अनुसार नियमित टीकाकरण की प्रत्येक सत्र की ऑनलाइन एंट्री की जाती है। जिससे प्रत्येक दिन के टीकाकरण की उपलब्धि की जानकारी प्रखंड, जिला और राज्य को पदाधिकारी को होती है ।संभव है की गोविंदपुर प्रखंड में कई माह तक टीकाकरण नहीं होने से इसकी जानकारी जिले के वरीय पदाधिकारी को भी रही होगी। समय रहते जिले के वरीय पदाधिकारी इस मामले की समीक्षा करते तो शायद इतनी भयावह स्थिति को रोका जा सकता था क्योंकि मामला तीन माह से ज्यादा टीकाकरण नहीं होने का है।

प्रभारी रहते हैं प्रैक्टिस में मस्त प्रबंधक निभाते है भूमिका

गोविंदपुर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अपने प्रैक्टिस में मस्त रहते हैं। कार्यालय में काफी कम समय दे पाते हैं। इसकी सूचना जिले के पदाधिकारियों को भी है। इसके बावजूद अब तक इस पर नकेल कसा नहीं जा रहा है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की गैर मौजूदगी में कार्यक्रम प्रबंधक मनमाने तरीके से कार्यक्रम की देखरेख करने के बजाय प्रशासनिक कार्य करते रहते हैं।

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