धनबाद। जिले के सिविल सर्जन कार्यालय का घूसखोर लिपिक को सस्पेंड कर दिया गया। मालूम हो की दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के एवज में 4 हजार घुस लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था। सिविल सर्जन कार्यालय में ऐसी पहली घटना है जब रंगे हाथ पकड़ा गया हो।

क्या कहता है नियम

घूस लेते एसीबी के हत्थे चढ़े स्वास्थ्य विभाग के क्लर्क उमेश सिंह को सोमवार को निलंबित कर दिया गया। सिविल सर्जन डॉ सीबी प्रतापन ने निलंबन का पत्र जारी कर दिया। सीएस ने बताया कि सर्विस मैनुअल के अनुसार कोई भी कर्मचारी 24 घंटे से अधिक समय तक कारावास में रहता है, तो उसे निलंबित किए जाने का प्रावधान है। इसी प्रावधान के तहत क्लर्क को निलंबित किया गया है।

उठ रहे है कई सवाल

वैसे तो सिविल सर्जन कार्यालय के काम काज पर अंगुली उठती रहती है। कभी सदर अस्पताल के सामग्री खरीदारी पर, तो कभी मलाई दार पोस्ट और प्रतिनियुक्ति पर जमे रहने को लेकर सुर्खियां में रहती है। परंतु सवाल काफी अहम है की आखिर कर्मी क्यों डरे सहमे या भागे भागे रह रहे हैं। जिन कर्मियों ने अपनी कामकाज अच्छे से निपटाया है या इतनी ही साफ सुथरी छवि है तोउसे ड्यूटी से गायब रहने की क्या जरूरत है?

कई कर्मियों का है विवादों से पुराना नाता

मालूम हो की पूर्व में प्रधान लिपिक किशोर प्रसाद पर आरोप के बाद प्रशासनिक दृष्टिकोण से तबादला किया गया था। लिपिक राजा राम प्रसाद (वर्तमान में सेवानिवृत) पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे थे।वर्तमान में भी कई लिपिक सहित कई कर्मी पर भ्रष्ट्राचार के आरोप के वावजूद मुख्यालय में रहने की मेहरबानी लगातार इन सब पर बनी रही और फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।

दलाल सक्रिय,भ्रष्ट्राचार में लिप्त कई कर्मी

सूत्र ये भी बताते है विकलांग प्रमाण पत्र बनाने का आदेश सिविल सर्जन कार्यालय से हटाकर सदर अस्पताल में भेजने के वावजूद लिपिक ने अपने कब्जे में कामकाज रखा।कारनामे सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, हर विभाग के कामकाज, खरीदारी, के लिए अलग अलग सेटिंग और दलाल सक्रिय हैं। सिविल सर्जन कार्यालय, टीबी विभाग, मलेरिया सहित कई विभाग के कर्मी तो सीधे तौर पर दवा एवम अन्य सप्लाई में भी लगे हुए है। जिले के मुख्यालय की ये व्यवस्था हो तो अन्य प्रखंडों में ईमानदारी की बात करना बेमानी होगी।

क्लर्क उमेश को दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदक से चार हजार रुपए घूस लेते एससीबी ने रंगेहाथ पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद क्लर्क को जेल भेज दिया गया है। क्लर्क की गिरफ्तारी के दो दिन के बाद भी सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मचारी सहमे हुए हैं। सीएस की गैरमौजूदगी में अधिकतर कर्मचारी गायब रहते हैं।

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