पटना: नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफा दे दिया है। अब से कुछ देर पहले उन्होंने राज्पाल से मुलाकात की है। राज्यपाल फागु साव को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा और साथ नयी सरकार बनाने का दावा भी पेश किया है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को 160 विधायकों का समर्थन पत्र भी सौंपा है। राजभवन से मुलाकात के बाद बाहर निकले नीतीश कुमार ने कहा – हमने एनडीए छोड़ दिया है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. अब RJD के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक किसी एक घटना की वजह से नहीं बल्कि पिछले साल डेढ़ साल में जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग मुद्दों पर आमने सामने आए हैं वह सभी इस दूरी को बढ़ाते चले गये हैं.. हाल फिलहाल की घटनाओं की बात की जाए तो पहले स्पीकर के साथ नीतीश की कहा सुनी, उसके बाद अग्निपथ योजना के दौरान बीजेपी नेताओं के द्वारा नीतीश पर सवाल उठाना और बाद में उनमें से तमाम नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान करना (एक तरह से बिहार सरकार पर सवाल उठाने जैसा था)…इसके साथ ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से भी नीतीश की अपनी उम्मीदें थी ( भले ही वह कैमरे पर इनकार करते रहे थे). मतलब साफ है कि एक-एक कर तमाम ऐसे मुद्दे रहे हैं जिसकी वजह से बीजेपी और जेडीयू के बीच में दूरी बढ़ती चली गई. हालांकि कोशिश जरूर की गई कि इस दूरी को पाटा जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
बिहार में 2014-2017 वाली आ गई स्थिति


वैसे भी अब तक के डेवलपमेंट के मुताबिक जेडीयू-रजद के 124 विधायक होते हैं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 122 है. कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन का एलान किया है यानी स्थिति 2014 से 2017 के दरम्यान वाली है.
बीजेपी और जेडीयू दोनों को आगामी चुनाव में अपना राजनीतिक नफा नुकसान दिखने लगा था. दोनों ने अपने चुनावी ज्योतिष के चंद्रमा देखते हुए फैसला कर लिया. अब फिर स्थितियां कुछ आठ साल जैसी हो गई हैं, जब 2014 में नीतीश ने एनडीए को टाटा कर राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. सरकार तीन साल चली थी.

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