रांची। विधानसभा का विशेष सत्र कल आयोजित होगा। विशेष सत्र बुलाने का मूल उद्देश्य 1932 के खतियान पर स्थानीय नीति और ओबीसी समेत अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने संबंधी विधेयक पेश करना है। कार्यसूची में इसे शामिल किया है। जानकारी के मुताबिक स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान होगा। जिसमें भूमिहीनों, आदिवासी जनजातियों समेत उन जिलों के लिए भी प्रविधान होगा, जहां जमीन का सर्वे 1932 के बाद हुआ है। इधर विपक्ष विशेष सत्र को हंगामेदार बनाने की तैयारी में है। विपक्ष ईडी द्वारा मुख्यमंत्री को अवैध खनन मामले में समन को लेकर घेराबंदी करेगा।

स्थानीयता नीति निर्धारण

1932 का खतियान बनेगा आधार, इसमें वैसे जिले भी समाहित जहां इस वर्ष के बाद हुआ है सर्वे, कोल्हान प्रमंडल में जमीन का सर्वे 1964-65 में, आदिम जातियों और भूमिहीनों का ख्याल, बढ़ेगी ग्राम सभाओं की भूमिका।

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसपर सत्तापक्ष के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की थी। स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने का सत्तापक्ष के ही कई नेताओं ने विरोध किया था। बैठक में कुछ विरोध की बातें भी सामने आयी थी, जिस पर मुख्यमंत्री ने सभी का ख्याल रखने की बात कही थी।


ओबीसी समेत एसटी-एससी आरक्षण

ओबीसी (अत्यंत पिछड़ा एवं पिछड़ा वर्ग) को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण, एससी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति को 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत आरक्षण।

वहीं सरकार ओबीसी समेत अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण प्रतिशत भी बढ़ाएगी। राज्य में आरक्षण 77 प्रतिशत होगा। प्रस्ताव के मुताबिक ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत का प्रविधान है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रविधान है। जानकारी के मुताबिक ओबीसी आरक्षण में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-एक) को 15 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-दो) का आरक्षण 12 प्रतिशत होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण पूर्व से निर्धारित है।

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