रांची। झारखंड में राजनीतिक उथल पुथल के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विरोधियों पर तीखा वार किया है। उन्होंने पार्टी का रुख और ईडी के मुद्दे पर वस्तुस्थिति से अवगत करया है। झामुमो ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि पिछले 20 तारीख को प्रवर्तन निदेशालय के सहायक आयुक्त के नेतृत्व मे सात सदस्यीय ईडी की टीम मुख्यमंत्री के निवास स्थान पर पहुंची थी। पहुंचने का कारण उन्होंने कहा था कि जो ईसीआईआर 25/22 का है, उस संबंध में उनको कुछ जानकारी चाहिए और बयान दर्ज करना था। लोग आए भी सात घंटा रहे, 17-18 सवाल किए गए। जो ज्यादातर उनके हलफनामे में जो चुनाव आयोग को कहा गया था, उसी के तरफ उनका ध्यान था।

वह तथाकथित जो विसंगतियों की ओर इशारा कर रहे थे लेकिन उस पर कुछ बात उनकी थी नहीं की ये Schedule procedure of crime मे आता है। क्योंकि उनका जो समन था, पीएमएलए की धारा 50 के तहत Proceedings of crime का था, जो उस दायरे मे आता ही नही है। तब उनलोगो ने एक बढ़गाई की जमीन की चर्चा की। मुख्यमंत्री जी ने पहले जब इस बारे चीजें आ रही थी। तो जब पता किया गया कि वो जमीन किसकी है, तो ज्ञात हुआ कि वो जमीन भूईहरी जमीन है, जिसकी खरीद बिक्री हो ही नहीं सकती। लेकिन वहां जो 50-60 साल से पाहन लोग हैं उनके कब्जे में है। तो उस विषय मे उनके पास भी कोई ठोस जानकारी थी नहीं।

इस बीच में इस तरह की क्योंकि ये सीधा सीधी एक तो गैर वाजिब है और दूसरा असंवैधानिक भी है। क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत जो जनप्रतिनिधि चुनकर आते हैं, उनके जिम्मेदारियों के निर्वहन मे दिक्कतें होती हैं। और एक हउआ क्रिएट किया जा रहा है, खासकर सुबह से। व्यक्तिगत काम से मुख्यमंत्री दिल्ली गए, लौट भी आयेंगे। और 31 तारीख को 1 बजे उनको बुलाया ही गया है। जब आप ही ने कहा था कि 29 से 31 के बीच में तो हम तो तैयार हैं 31 को, आपने पूछा था स्थान और समय बताइयेगा, पिछले बार भी आपने पूछा था। इस बार भी आपको बताया गया कि स्थान कांके रोड में आवास होगा और समय अपराह्न 1 बजे होगा। तो ये तरह तरह के भ्रम आखिर कौन उत्पन्न करवा रहा है।

लगातार दो- तीन दिनों से राज्य की राजनीतिक परिस्थिति को जिस प्रकार से पेश किया जा रहा है। ये लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ़ है। हम तो सर्वदा इस बात को कहते हैं कि हमसे जो भी राजनीतिक मतभेद है उसमें लोगों के बीच जाइए। लोगों के बीच तो आप जा नही सकते। इसलिए आप अपनी एजेंसी को आगे कर रहे हैं, आधारहीन बातों पर। जिस केस का जिक्र हो रहा है वह सरकारी रिकॉर्ड में भूईहरी दर्ज है। तो जो हो ही नहीं सकता है उस पर केस का तफ्तीश हो रहा है, बयान दर्ज की बात होती है फिर भी हम लोग कहते हैं।

आपको आना है आइए लेकिन प्रोपगेंडा बंद कीजिए। ये मिडिया मे एक अजीब शब्द घूम रहा है सूत्र बता रहे हैं sources said.. Who is source ? आपकी कार्रवाई शासन को डरानेवाली लगती है, जो कि संभव नहीं है। क्योंकि ये शासन चुना हुआ शासन है। इसलिए आप लोगों से भी निवेदन है कि 31 तारीख को 1 बजे के बाद आप अपने-अपने अनुमान लगाइएगा, क्योंकि आप जिम्मेवार लोग हैं आप यदि माहौल को खराब करेंगे आधारहीन खबरों का प्रसारण होगा तो कहीं ना कहीं स्थिति गड़बड़ होती है।

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