पटना। बी-फार्मा, एम-फार्मा व डिप्लोमा के पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग हैं। इनमें डिप्लोमा इन फार्मेसी डिग्रीधारी ही सरकारी विभाग में फार्मासिस्ट बनने के योग्य हैं। उक्त डिग्रीधारी दवा-कास्मेटिक निर्माण की फैक्ट्रियों अथवा औषधि निरीक्षक या औषधि नियंत्रण निदेशालय के उच्चतर पदों के योग्य हैं। ऐसे में, बी-फार्मा व एम-फार्मा योग्यताधारी, जिनके पास डिप्लोमा इन फार्मेसी की डिग्री नहीं है, वे फार्मासिस्ट नहीं बन सकते हैं। यह आदेश हाईकोर्ट की फुल बेंच ने भी यथावत रखा है।

हाईकोर्ट ने कहा कि बी-फार्मा, एम-फार्मा व डिप्लोमा के पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग हैं। इनमें डिप्लोमा इन फार्मेसी डिग्रीधारी ही सरकारी विभाग में फार्मासिस्ट बनने के योग्य हैं। बी-फार्मा व एम-फार्मा दवा-कास्मेटिक निर्माण की फैक्ट्रियों अथवा औषधि निरीक्षक या औषधि नियंत्रण निदेशालय के उच्चतर पदों के योग्य हैं।

ऐसे में, बी-फार्मा व एम-फार्मा योग्यताधारी, जिनके पास डिप्लोमा इन फार्मेसी की डिग्री नहीं है, वे फार्मासिस्ट नहीं बन सकते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम फार्मासिस्ट एसोसिएशन की ओर से स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट के रिक्त पदों पर बी-फार्मा डिग्रीधारी को अवसर देने के लिए अरविंद कुमार ने याचिका दायर की थी।

न्यायामूर्ति गुन्नू अनुपमा चक्रवर्ती ने 10 जनवरी 2023 को खंडपीठ के निर्णय को पारित कर दिया। डिप्लोमा फार्मासिस्ट आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।

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