सावधान! आने वाला है रविवार… गलती से भी न खाएं ये 5 चीजें…. वरना सूर्य देव का कोप झेलेंगी सात पुश्तें…. पितृ भी कर लेंगे किनारा
रविवार के दिन खानपान की इन गलतियों से बिगड़ सकता है भाग्य, सूर्य की कृपा पाने के लिए जानिए किन चीज़ों से रखें परहेज

नई दिल्ली।हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है, और रविवार का दिन भगवान सूर्य को। यह दिन आत्मशुद्धि, आरोग्य और आध्यात्मिक बल के लिए विशेष माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि इस दिन कुछ विशेष चीजों का सेवन कर लिया जाए, तो सूर्य देव का आशीर्वाद कोप में बदल सकता है? इतना ही नहीं, मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ भी नाराज होकर कभी आपके घर की ओर रुख नहीं करते।
सूर्य देव को प्रिय है सात्त्विकता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आत्मा, पिता, नेत्र और आत्मबल के कारक ग्रह हैं। यदि उनकी कृपा बनी रहे, तो जीवन में मान-सम्मान, सेहत और सफलता अपने आप मिलती है। लेकिन रविवार के दिन तामसिक या शत्रु ग्रहों से जुड़ी चीज़ों का सेवन करने से उनका प्रभाव कमजोर हो सकता है।
रविवार को भूलकर भी न करें इन 5 चीज़ों का सेवन:
काली उड़द और मसूर दाल –
शनि से संबंधित ये दालें सूर्य के प्रभाव को नष्ट करती हैं और जीवन में संघर्ष बढ़ा सकती हैं।नमक –
राहु और शनि से जुड़ा नमक, सूर्य की तेजस्विता को दबा देता है। रविवार को व्रत करने वालों को खास तौर पर इससे परहेज करना चाहिए।मांसाहार और शराब –
तामसिक भोजन आत्मा को कलुषित करता है। इससे मानसिक अशांति, आंखों की कमजोरी और पिता से मतभेद तक हो सकते हैं।खट्टे पदार्थ (नींबू, अचार, इमली) –
ये चीज़ें शरीर की अग्नि को बिगाड़ती हैं और सूर्य की ऊर्जा को असंतुलित कर सकती हैं।तला-भुना और तैलीय भोजन –
यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और शुद्धता को बाधित करता है, जिससे सूर्य की कृपा दूर हो सकती है।
सही दिनचर्या से मिलेगा आशीर्वाद
रविवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना, साफ वस्त्र पहनना और सूर्य को जल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। यदि पूजा न कर पाएं तो भी उपरोक्त बातों का पालन कर सूर्य की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
जिन्हें अपने भाग्य, स्वास्थ्य और पितृ कृपा की चिंता है, उन्हें रविवार को इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। वरना सूर्य देव का कोप जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है — और उनकी नाराज़गी सिर्फ एक जन्म तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसकी तपिश पीढ़ियों तक महसूस की जा सकती है।