रांची। पहले आधी अधूरी जानकारी देकर विभाग को गुमराह करने की कोशिश…और जब बात नहीं बनी, तो अब सेटिंग कर कुर्सी बचाने की जुगत। झारखंड में सालों से एक ही जिले में जमे स्वास्थ्य विभाग के अफसर अब भी खेला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। 9 साल या 9 साल से अधिक एक ही जिले में जमे मेडिकल अफसर, विशेषज्ञ, सिविल सर्जन और सीएमओ जिले से लेकर राजधानी तक खूब दौड़ लगा रहे हैं। ना विभाग की फिक्र और ना ही जिम्मेदारी की चिंता। जिलों के सिविल सर्जन से लेकर मेडिकल अफसरों का इन दिनों ज्यादा वक्त राजधानी में सचिवालय और मंत्रालय के चक्कर काटते हुए ही गुजर रहा है।

खबर है कि लंबे समय समय एक ही जिले में जमे डाक्टरों की तबादला लिस्ट तैयार हो रही है। नियम की बात करें तो धनबाद, जामताड़ा, चतरा, देवघर सहित 10 से ज्यादा जिलों के सिविल सर्जन और जिला पदाधिकारी का तबादला तय है। क्योंकि प्रदेश के कई सिविल सर्जन, जिला पदाधिकारी, मेडिकल अफसर सालों से एक ही जिले में जमे हैं।

12-15 साल का रिकार्डतोड़ टर्म पूरा करने के बावजूद इन अफसरों का मोहभंग जिलों से नहीं हो रहा है। अब इसे कुर्सी की मोह कह लीजिये या फिर माया की मोह, लेकिन इतना तो तय है कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए कई जिलों के सिविल सर्जन साम, दाम, दंड, भेद हर दांव आजमाने में जुटे हैं। यूं तो कायदे से इन सभी का तबादला तीन-चार साल पहले ही हो जाना चाहिये था, लेकिन दो साल कोरोना की भेंट चढ़ जाने की वजह से तबादला नहीं हो पाया।

अब, जबकि तबादला की सुगबुगाहट है तो अपनी कुर्सी बचाने के लिए अफसर कभी प्रशासनिक पद पर होने का बहाना देकर विभाग को गुमराह कर रहे हैं, तो कभी सेटिंग कर कुर्सी बचाने की वजह ढूंढ रहे हैं।

पिछले दिनों HPBL न्यूज ने धनबाद, जामताड़ा सहित कई जिलों के सिविल सर्जन की जानकारी प्रकाशित की थी, जो 12-15 साल से एक ही जिले में तैनात है। अपनी नौकरी का आधा कार्यकाल एक ही जिले में गुजार देने के बावजूद ये अफसर जिला छोड़ने को तैयार नहीं है।

ये सिविल सर्जन- सीएमओ लंबे समय से हैं तैनात

चतरा- श्याम नंदन सिंह (सिविल सर्जन) – 20 साल
देवघर- जुगल किशोर चौधरी (सिविल सर्जन) – 20 साल
धनबाद- आलोक विश्वकर्मा (सिविल सर्जन) – 14 साल
धनबाद – संजीव कुमार (डीआरसीएचओ) – 13 साल
गढ़वा – अरूण कुमार ( एसीएमओ) – 11 साल
गोड्डा- निर्माला बेसरा (एसीएमओ) – 11 साल
जामताड़ा – सुरेंद्र कुमार मिश्रा (सिविल सर्जन)- 15 साल
खूंटी – डॉ अजीत ( सिविल सर्जन) – 12 साल
कोडरमा- परमेश्वर मिश्रा ( एसीएमओ) – 9 साल

सरकार ने नियम रखा है 9 साल

विभाग की तरफ से जो सूची जारी की गयी है, उसके मुताबिक 9 साल से एक ही जिले और 3 साल के एक पद पर जमे डाक्टर्स के तबादले होने हैं। लेकिन अधिकांश डाक्टर्स 11 से 20 साल का टर्म एक ही जिले में पूरा कर चुके हैं। इसके बावजूद जिला छोड़ने को तैयार नहीं है।

क्योंकि नहीं छोड़ना चाहते हैं जिला

जानकारी के मुताबिक जिलों में मालदार पदों पर जमे होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग के कई सिविल सर्जन और जिले का पद नहीं छोड़ना चाहते, तो कई स्पेशलिस्ट और मेडिकल अफसर ने अपना नर्सिंग होम खोल रखा है। लिहाजा वो पूरी जिंदगी एक ही जिले में रहकर नौकरी करना चाहते हैं। हालांकि ऐसा करना ना तो नियम के मुताबिक सही है और ना ही स्वास्थ्य विभाग की गुणवत्ता के लिए उचित।

हालांकि अब जब सेटिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग के कई सिविल सर्जन से लेकर मेडिकल अफसर तक ऐड़ी चोटी का जोर लगाये हुए हैं, तो देखना होगा कि जीत आखिर किसकी होती है। क्या नियम के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग फैसला लेगा या फिर माया के मोह में दवाब में आ जायेगा। क्योकि चर्चा तो यही है कि कई डाक्टर बड़े-बड़े बैग के साथ भी पहुंचे हैं। जिसे खोलने के लिए वो तैयार बैठे हैं।

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