रायपुर। छत्तीसगढ़ के आज चार लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल है। छत्तीसगढ़ के इस हड़ताल की देश भर में चर्चा है, क्योंकि कर्मचारियों ने हड़ताल के लिए उस दिन का चयन किया है, जब प्रधानमंत्री मोदी छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। एक पहलू गौर करने वाली ये भी है कि प्रदेश में आज ही राज्य सरकार ने 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी की है, वहीं पुरानी पेंशन योजना और रिटायरमेंट को लेकर भी बड़े फैसले लिये हैं, बावजूद कर्मचारियों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। आज प्रदेश के 145 संगठन हड़ताल पर हैं।

क्यों हैं कर्मचारी संगठन नाराज
दरअसल छत्तीसगढ़ के कर्मचारी लंबे समय से केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को राज्य सरकार ने महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ाया है, बावजूद छत्तीसगढ़ के कर्मचारी केंद्र सरकार की तुलना में अभी भी 4 प्रतिशत पीछे हैं। अब कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य सरकार ना तो एरियर्स की राशि दे रही है और ना ही केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता दे रही है। कर्मचारी विरोधी सरकार बताते हुए कर्मचारी संगठन शुक्रवार को हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के डीए में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, तो यही उम्मीद थी कि कर्मचारी संगठन अपना हड़ताल स्थगित कर देंगे, लेकिन कर्मचारी संगठन नहीं माने। राज्य सरकार को प्रति वर्ष एक हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। इधर विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भर में संविदा और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा कर दिया है। कर्मचारियों के कई वर्ग हड़ताल पर हैं। ऐसे में सीएम बघेल का ऐलान काफी अहम माना जा रहा है। प्रदेश में स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल चल रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। नियमितिकरण को लेकर उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने संकेत दिए थे। फिलहाल सभी विभागों की जानकारी मंगाई गई है। सभी से चर्चा के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे।

स्कूल, मंत्रालय-सचिवालय में ताला लटका
प्रदेश के हजारों स्कूलों में आज ताला लटका हुआ है, वहीं मंत्रालय और सचिवालय में भी कामकाज पूरी तरह से ठप है। नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश के लाखों अनियमित कर्मचारी पहले से ही हड़ताल पर हैं अब नियमित कर्मचारी के भी हड़ताल पर रहने से प्रदेश में कामकाज बुरी तरह से प्रभावित होगा।

भूपेश कैबिनेट के अहम फैसलें:-

• सरकारी कर्मचारियों को पूर्ण पेंशन की पात्रता अवधि को 33 साल से घटाकर 30 साल कर दिया गया है। इसके साथ ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति की अवधि 20 से घटाकर 17 साल कर दिया गया है।
• बस्तर और सरगुजा संभाग में शिक्षकों के रिक्त 3722 एवं सहायक शिक्षकों के 5577 पद भरने के लिए भर्ती नियमों में बदलाव किया गया है।
• राज्य सरकार द्वारा आम लोगों को सस्ते दरों पर आवास उपलब्ध कराने के लिए बाजार मूल्य की गाइडलाइन दरों को 30 प्रतिशत घटाया गया है।
• छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए औद्योगिक नीति 2019-24 में संशोधन किया गया है।
• 26 मार्च 2003 के बाद से नियुक्त किए गए सभी वन रक्षकों का वेतनमान 3050-4590 रुपए मान्य किए जाने का निर्णय लिया गया।
• बिरनपुर घटना में जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया गया है।

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