राँची । झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के पांच सालों की मेहनत अंतत: रंग लाई और झारखंड सरकार ने योजना मद में कार्यरत शिक्षकों को गैर योजना मद में स्थानांतरित करने की स्वीकृति प्रदान कर दिया। 1918 में झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ की स्थापना हुई थी, अपने स्थापना काल से ही अन्य मुद्दों समेत योजना मद में कार्यरत उर्दू शिक्षकों को गैर योजना मद में स्थानांतरित करने की आवाज बुलंद की जाती रही। इस दौरान मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, वित्त मंत्री सहित अन्य मंत्रालय के चक्कर भी लगाए गए।

पांच सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार मंत्री परिषद की बैठक में स्वीकृति दी गई। इस संदर्भ में झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव अमीन अहमद ने बताया कि केबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने राज्य योजना अंतर्गत झारखंड राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में इंटरमीडिएट प्रशिक्षित वेतनमान लेवल-6 के 9300-34800 ग्रेड पे-4200 में उर्दू शिक्षकों के स्वीकृत 4401 पदों को गैर योजना मद में स्थानांतरित करने की स्वीकृति दी। इससे पुरे राज्य के योजना मद में कार्यरत 701 शिक्षक-शिक्षिकाओं के अलावे रिक्त 3700 उर्दू शिक्षकों के नियुक्ति में शिक्षकों को लाभ मिलेगा।

क्या है योजना – गैर योजना मद

झारखंड में शिक्षकों की बहाली दो मदों में होती है। गैर योजना मद में नियुक्त शिक्षकों का वेतन निकासी सीधे होती है जबकि योजना मद में नियुक्त होने वाले शिक्षकों का वेतन मद में पहले राज्य सरकार वेतन मद की राशि का आवंटन करती है। उसके बाद शिक्षक के आधार पर जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से राशि उपआवंटित की जाती है। योजना मद का वेतन विपत्र भी जिला स्तर से जारी किया जाता है. जिसमें काफी विलंब होता है और समय पर वेतन निकासी नहीं हो पाती है।

झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, मंगलेश्वर् उराँव, सुधांशु कुमार सिंह, आशुतोष कुमार,अरुण कुमार दास, सहित अब्दुल माजिद, मकसूद ज़फ़र हादी, शहज़ाद अनवर, एनामुल हक़, साबिर अहमद, नाज़िम अशरफ, मो० फखरुद्दीन, गुलाम अहमद, मुफ़ीद आलम, शाहिद अनवर, राकीम अहसन,शमशेर आलम, मो० नसीमुद्दीन, तौहीद आलम, अब्दुल गफ्फार द्वारा राज्य के योजना मद में कार्यरत उर्दू शिक्षकों को गैर योजना मद में स्थानांतरित किये जाने की स्वीकृति झारखंड मंत्रिपरिषद द्वारा दिये जाने पर हर्ष व्यक्त किया गया।

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