हेमंत जी! अपनी कुर्सी की चिंता के साथ बच्चों के बैठे की भी चिंता कीजिये… बाबूलाल मरांडी ने क्यों किया हेमंत सोरेन पर कटाक्ष
Hemant ji! Along with worrying about your chair, also worry about the children's seating... Why did Babulal Marandi take a dig at Hemant Soren?

Babulal Marandi: झारखंड में इन दिनों सर्दी का सितम दिख रहा है। पारा लगातार नीचे जा रहा है। इस गिरते पारा का सबसे ज्यादा शिकार छोटे-छोटे बच्चे हो रहे हैं। खासकर सरकारी स्कूल के बच्चे, जिन्हें स्कूलों में डेस्क और बेंच भी नसीब नहीं हो रहा है। स्कूली बच्चों की जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने की मजबूरी को लेकर जारी मीडिया रिपोर्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर सवाल खड़े किये हैं।
पिछले दिनों धनबाद जिले के 164 सरकारी स्कूलों के लगभग 24,000 बच्चों को सर्दी के मौसम में जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूरी की एक मीडिया रिपोर्ट छपी थी। जिस पर बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर लिखा कि स्कूलों में बेंच-डेस्क की भारी कमी है, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जिले के प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में लगभग 6,000 बेंच-डेस्क की आवश्यकता है, यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखने को मिल रहा है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सर्दियों के कारण बच्चों को ठंडी जमीन पर बैठना मुश्किल हो गया है। 15 दिसंबर के बाद तापमान 7 डिग्री तक गिरने की संभावना है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है। स्थानीय स्कूल प्रशासन ने जिला अधिकारियों से बार-बार इस समस्या को हल करने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
बाबूलाल मरांडी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हेमंत जी, अपनी कुर्सी की चिंता के साथ साथ बच्चों के बैठने के लिए भी बेंच डेस्क की चिंता कीजिए और इस गंभीर समस्या पर ध्यान देकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जरूरी प्रयास कीजिए। आपको बता दें कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के खस्ताहाल को लेकर आये दिन खबरें आती है। हालांकि सरकार ने संसाधन बेहतर करने की बात कही है, लेकिन अभी भी कई स्कूलों में स्थिति काफी बुरी है। दुरस्थ क्षेत्र के स्कूलों में आज भी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।