तीन दशक बाद योगी का बड़ा झटका या तोहफा? 30 साल से जमे नियम बदलेंगे…अधिकारियों के बढ़ेंगे पैसे वाले अधिकार…
30 साल बाद योगी सरकार का बड़ा फैसला — PWD अधिकारियों के वित्तीय अधिकार 5 गुना तक बढ़े, तेजी से होंगे निर्माण कार्य

लखनऊ, 24 अक्टूबर:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग (PWD) में 30 साल बाद एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।अब विभागीय अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि की जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह बदलाव निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज, पारदर्शिता को मजबूत और विकास परियोजनाओं को गति देने में अहम भूमिका निभाएगा।
1995 के बाद पहली बार बदले जाएंगे नियम
बैठक में सामने आया कि PWD अधिकारियों के वित्तीय अधिकार साल 1995 में तय किए गए थे।
इस बीच निर्माण लागत में 5.52 गुना तक बढ़ोतरी हो चुकी है, जिसके कारण मौजूदा वित्तीय सीमा अप्रासंगिक हो गई थी।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि “अब समय आ गया है कि हम अधिकारों को वर्तमान लागत और जरूरतों के हिसाब से तय करें।”
अब किसे कितना मिलेगा अधिकार?
नई व्यवस्था के अनुसार —
मुख्य अभियंता (Chief Engineer): ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ तक की परियोजनाओं की स्वीकृति का अधिकार।
अधीक्षण अभियंता (Superintending Engineer): ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ तक।
अधिशासी अभियंता (Executive Engineer): ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ तक।
सहायक अभियंता (Assistant Engineer): छोटे कार्यों और टेंडर स्वीकृति में सीमित अधिकारों का विस्तार।
यह संशोधन तीन दशकों के बाद लागू होने जा रहा है, जो विभागीय ढांचे में ऐतिहासिक परिवर्तन माना जा रहा है।
सेवा नियमावली में भी बड़ा फेरबदल
बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (PWD) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में व्यापक संशोधन को भी मंजूरी दी गई।
अब विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद जोड़ा जाएगा।
इसके साथ ही मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ाई जाएगी,
ताकि पदोन्नति की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और सुव्यवस्थित हो सके।
पदोन्नति, वेतन और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता
संशोधित नियमावली के तहत —
पदोन्नति अब योग्यता, वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर होगी।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतनमान और पे लेवल तय किए गए हैं।
चयन समिति की संरचना को भी अपडेट किया गया है ताकि नियुक्ति में किसी तरह का पक्षपात न हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा —
“लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं की रीढ़ है।
इसलिए अभियंताओं को निर्णय लेने की स्वायत्तता और समयानुकूल अधिकार देना आवश्यक है।
इससे विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।”
नतीजा — अब फाइलों की रफ्तार नहीं रुकेगी
इस फैसले से उम्मीद है कि
टेंडर, अनुबंध और कार्यारंभ की प्रक्रिया में तेजी आएगी,
उच्च स्तरीय अनुमोदन पर निर्भरता घटेगी,
और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध तरीके से हो सकेगा।









