रांची। झारखंड में मनी लांड्रिंग केस में चल रही तहकीकात के बीच सरकार और ED के बीच ठन गयी है। ED के समन के खिलाफ अब हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें गुरुवार को ईडी के पास पेश होना था, लेकिन वो ईडी मुख्यालय पहुंचने के बजाय सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये। उन्होंने सीएम सचिवालय के एक कर्मचारियों के जरिये ईडी को पत्र भेजकर जानकारी दी है कि उन्होंने ईडी के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हेमंत सोरेन के रुख से यह जरूर साफ हो गया है कि वे जांच एजेंसी के साथ अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। पहले समन में भी मुख्यमंत्री हाजिर नहीं हुए थे, अब दूसरी बार जारी समन के जवाब में भी वो नहीं गये। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका से संबंधित कोई भी कागजात उन्होंने ईडी को नहीं दिया है। अब यह संभावना बढ़ गई है कि ईडी मुख्यमंत्री को जल्द ही तीसरा समन करेगी। मुख्यमंत्री ने ईडी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है। समन भेजकर ईडी राज्य में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रही है।

आपको बता दें कि ईडी की कार्रवाई को लेकर पिछली बार भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने जानबूझकर न सिर्फ उनकी बल्कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और झारखंड के लोगों की प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने ED की ओर से भेजे गए समन वापस लेने को कहा था। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा था कि ऐसा न होने पर वे कानून का सहारा लेने को बाध्य होंगे। अब वो इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दायर की है।

मुख्यमंत्री के मुताबिक, ईडी जानबूझकर उन्हें समन कर रही है, ताकि न सिर्फ उनकी, बल्कि झारखंड राज्य व यहां के लोगों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकें।उन्हें पिछले एक साल से निशाना बनाया जा रहा है। वह भी सिर्फ इसलिए, क्योंकि वे उस दल से आते हैं, जो केंद्र की सत्ता में नहीं है। मुख्यमंत्री ने ईडी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले ईडी ने उन्हें अवैध खनन मामले से जोड़ने की कोशिश की और अब जमीन घोटाला से जोड़ना चाहती है। वे ईडी को अपनी सभी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी दे चुके हैं।

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