नयी दिल्ली। IAS बनकर डीसी-डीएम बनने का सपना तो हर किसी का होता है। लेकिन कई अफसर UPSC में सेलेक्ट होने के बाद कुछ ऐसे फैसले लेते हैं, जो हैरत में डाल जाते हैं। ऐसी ही एक अफसर है अपाला मिश्रा। UPSC 2020 में 9वीं रैंक लाने वाली अपाला के पास IAS बनने के शानदार मौका था, लेकिन उन्होंने IFS यानि इंडियन फॉरन सर्विस को चुना। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता आर्मी में कर्नल रहे हैं, वहं उनकी मां दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर हैं. यूपीएससी निकालने से पहले अपाला खुद डॉक्टर भी थीं।

अपाला ने यूपीएससी सिविल सेवा 2020 की परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की थी। यही नहीं, वह उस साल इंटरव्यू में सबसे अधिक अंक पाने वाली कैंडिडेट थीं। उनके इंटरव्यू में 275 में से 215 अंक आए थे. अपाला उन्होंने आर्मी कॉलेज से बीडीएस की डिग्री हासिल की है। इंडियन फॉरेन सर्विसेज यानी आईएफएस को चुनने के पीछे की वजह बताते हुए अपाला कहती है कि यूपीएससी निकालने के बाद आपको अगले 30 वर्ष वही काम करना होता है, ऐसे में जरूरी है कि आप अपने पसंद का ही काम करें। उस काम के लिए आपके अंदर जूनून होना चाहिए।

अपाला कहती हैं कि उनकी हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय संबंधो में दिलचस्पी रही है, ये विषय पढ़ने पर उन्हें मजा भी बहुत आता था, ऐसे में उन्हें लगा कि वह अपनी इस रूचि का इस्तेमाल देश सेवा में भी कर सकती हैं, इसलिए उन्होंने आईएफएस पोस्ट चुनी। वह कहती हैं कि यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था, शुरूआत में उन्हें काफी दुविधा थी, लेकिन सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान जब उन्होंने इस सर्विस के बारे में और जाना तो उनकी दिलचस्पी इसमें बढ़ गई।

अपाला की मां अल्पना दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्रोफेसर हैं। वह प्रसिद्ध साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी की भतीजी हैं। जबकि बेटी अपाला मिश्रा हैदराबाद के आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज से बीडीएस करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी में जुटी। अपाला मिश्रा ने यह सफलता तीसरे प्रयास में पाई थी। उनकी देश में नौवीं रैंक आई है। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा का विकल्प चुना है। अपाला मिश्रा का कहना है कि भारत के अन्य देशों से रिश्ते मजबूत हों, वह इस दिशा में बेहतरी से काम करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने आईएफएस चुना।

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