धनबाद । जिले के सिविल सर्जन द्वारा वर्षों से जमे कर्मियों की प्रतिनियुक्ति रद्द होने के बावजूद कर्मी अपने मूल पदस्थापन स्थान पर योगदान नहीं दिया है। 11 अगस्त को जारी आदेश के मुताबिक कर्मियों को दो दिन के अंदर योगदान देने का निर्देश था। समय सीमा खत्म होने के बावजूद कर्मियों ने अपने पदस्थापन स्थान पर योगदान देना नहीं चाहते। इस वजह से ये सवाल उठने लगे हैं की कहीं अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए तो कर्मी प्रतिनियुक्ति तो नहीं करा रहे ?

प्रतिनियुक्ति नहीं है अधिकार

कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति रद्द करने को लेकर राज्य के मुख्य सचिव तक पूर्व में भी कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं। विभागीय अधिकारी का कहना है की इसके बावजूद विशेष परिस्थिति में नियंत्री पदाधिकारी कार्य की व्यापकता की देखते हुए आवश्यकतानुसार कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कर सकते है। जो की पूर्णतः अस्थाई होती है।स्पष्ट है की प्रतिनियुक्ति पर कार्य करना कर्मियों का अधिकार नहीं हैं।

मूल पदस्थापित कर्मी के पास नहीं था कोई प्रभार

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले 1 वर्ष से सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित एक लिपिक को कोई प्रभार ही नहीं दिया जबकि प्रतिनियुक्ति कराकर वर्षों से जमे कर्मी कार्य के प्रभार में थे।जबकि पूर्व से ही वो लिपिक ACMO कार्यालय में भी पदस्थापित थी।

क्या है मामला

मालूम हो की जिले में एक ही स्थान पर जमे लिपिक का स्थानांतरण वरीय अधिकारी के निर्देश पर की गई थी। जिस तबादला आदेश पर निदेशक प्रमुख की स्वीकृति प्राप्त थी। उसके बावजूद फिर से कर्मियों ने अपनी प्रतिनियुक्ति सिविल सर्जन कार्यालय में करा कर कार्यरत थे।

नए सिविल सर्जन ने पदभार संभालने के बाद कार्य शैली सुधार करने की हिदायत दे रखी थी। उसी कड़ी में सबसे पहले प्रतिनियुक्त कर्मियों को अपने मूल पदस्थापन स्थल पर कार्य करने का आदेश जारी किया गया। जिस तरह से आदेश निर्गत होने के बावजूद कर्मियों ने योगदान नहीं दिया उससे स्पष्ट है की सिविल सर्जन आगे की कारवाई करने की तैयारी में हैं।

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