रांची। झारखंड में विशेष सत्र बुलाकर स्थानीय नीति और 77% आरक्षण वाले विधेयक को पास कर दिया गया। अब झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता का लाभ झारखंड के लोगों को मिलेगा, वही प्रदेश में आरक्षण प्रतिशत बढ़ जाने के बाद नए सिरे से आरक्षण के नियम लागू हो जाएंगे। आपको बता दें कि पहले SC को 10% , ST को 26%, OBC को 14%, EWS को 10% आरक्षण मिलता था। कुल मिलाकर आरक्षण का प्रतिशत 60% था।

लेकिन, झारखंड में शुक्रवार को विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण का प्रतिशत 77% कर दिया गया। इसके मुताबिक SC का आरक्षण 10% से बढ़ाकर 12%, ST का आरक्षण 26% से बढ़ाकर 28%, ओबीसी का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% और EWS का आरक्षण पूर्व की भांति 10% होगा। इस बढ़ोत्तरी के बाद आरक्षण का आंकड़ा अब 60% से बढ़कर 77% हो जाएगा।

हेमंत सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण प्रतिशत तो बढ़ा लिया है, लेकिन इसे लागू करने के लिए केंद्र के निर्देश का इंतजार करना होगा। दरअसल जब से झारखंड विधानसभा में बढ़े हुए आरक्षण पर मुहर लगी है, हर कोई इस बात को लेकर सवाल पूछ रहा है कि आखिर आरक्षण लागू कब होगा?

जानकारी के लिए आपको बता दें कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने आरक्षण को लेकर पहले कैबिनेट से मंजूरी ली थी, उसके बाद उसे सदन में पेश किया गया। सदन में पास करने के बाद झारखंड में इसे लागू कराने से पहले केंद्र सरकार को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करेगी या नहीं ? यह केंद्र पर निर्भर है।

केंद्र सरकार अगर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर लेती है, तो नई आरक्षण प्रणाली झारखंड में लागू हो जाएगी। लिहाजा नए आरक्षण नीति पर केंद्र सरकार के रुख पर हर किसी की नजर टिकी होगी। झारखंड में 77% आरक्षण लागू करने के प्रस्ताव पर सदन की मुहर लग गई है, लेकिन झारखंड से ज्यादा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत लागू है अरुणाचल प्रदेश मेघालय मिजोरम नागालैंड में अनुसूचित जनजाति के लिए 80% तक का आरक्षण लागू है।

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