झारखंड में अब क्या होगा !….झारखंड के इस राजनीतिक गणित को समझना है बेहद जरूरी…..JMM को लगा झटका तो BJP को कितना होगा फायदा ?

रांची। झारखंड में राजनीतिक फेरबदल के संकेत हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा को लेकर जो अटकलें पिछले कई दिनों से लग रही थी, उस सस्पेंस पर आज पर्दा उठ सकता है। चुनाव आयोग ने आफिस आफ प्राफिट मामले में फैसला राजभवन को भेज दिया है। दावा तो यही है कि इस फैसले में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेजी है, हालांकि इसे लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में ये दावा किया जाने लगा है कि आखिर झारखंड का राजनीतिक भविष्य क्या होगा?

अगर विधानसभा की सदस्यता रद्द हुई तो हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना होगा। ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेने का उत्तराधिकारी कौन होगा। क्या JMM से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा या फिर कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश करेगी। हालांकि संख्या बल में ज्यादा होने की वजह से अगर नेतृत्व बदलने की बात हुई तो जेएमएम से ही किसी को चुना जाना तय है। झारखंड का आखिर क्या है राजनीतिक समीकरण, इसे लेकर अपने-अपने अंक बैठाये जा रहे हैं। झारखंड विधानसभा में कुल 81 विधायक है। सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है। अभी जो मौजूदा सरकार है, उसमें झामुमो के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राजद के एक विधायक यानी कुल 49 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है। भाकपा माले ने अपने एक विधायक का समर्थन बाहर से दे रखा है।

एनसीपी के इकलौते विधायक का भी बाहर से समर्थन प्राप्त है। वहीं अगर विपक्ष की बात करें तो भाजपा के पास कुल 26 विधायक हैं। उसकी सहयोगी पार्टी आजसू के दो विधायक हैं। अगर निर्दलीय सरयू राय, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह और बरकट्ठा विधायक अमित यादव का साथ मिल भी जाता है तो यह संख्या 31 पर सिमट जाएगी। ऐसे में भाजपा उसी सूरत में सरकार बना पाएगी, अगर कांग्रेस के 18 में से दो तिहाई यानी 12 विधायक उसके साथ आ जाएंगे। पिछले दिनों कैश कांड को लेकर अटकलें यही लग रही थी कि बीजेपी अब कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में लगी हुई है।

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