अंतरिक्ष में क्या कर रहे हैं शुभांशु शुक्ला? 10 दिन की स्पेस डायरी में छिपे हैं चौंकाने वाले रहस्य, 10 जुलाई को लौटेंगे धरती

नई दिल्ली: भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचा गया है। शुभांशु शुक्ला — भारतीय अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने राकेश शर्मा के बाद देश को फिर से अंतरिक्ष में गौरव दिलाया — अब तक 10 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में बिता चुके हैं। लेकिन सवाल ये है: क्या सिर्फ रिसर्च हो रही है या भविष्य की दुनिया बसाने की तैयारी?

शुभांशु शुक्ला ना सिर्फ भारत, बल्कि मानवता की ओर से एक ऐसा मिशन लेकर गए हैं, जो चांद, मंगल या अन्य ग्रहों पर जीवन बसाने की नींव रख सकता है। उनके हर प्रयोग में छिपा है कल का विज्ञान और जीवन।

1. मांसपेशियों की ताकत बनाम अंतरिक्ष

शुभांशु का सबसे महत्वपूर्ण रिसर्च “मायोजेनेसिस” पर आधारित है। इस प्रयोग में यह जांचा गया कि माइक्रोग्रैविटी यानी शून्य गुरुत्वाकर्षण में शरीर की मांसपेशियां कैसे जल्दी कमजोर हो जाती हैं। उन्होंने इस पर आणविक और कोशिकीय स्तर पर डाटा रिकॉर्ड किया, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नई दवाइयों और वर्कआउट प्रोटोकॉल्स का रास्ता खुलेगा।

2. क्या अंतरिक्ष में उग सकते हैं पौधे?

शुक्ला ने “स्प्राउट प्रोजेक्ट” के तहत अंतरिक्ष में बीजों की सिंचाई और अंकुरण प्रक्रिया का परीक्षण किया। यह प्रयोग भविष्य की खेती का आधार बन सकता है, खासकर अगर हमें चांद या मंगल पर ग्रीनहाउस फार्मिंग करनी हो।

3. ऑक्सीजन और खाना बनेगा सूक्ष्म शैवाल से?

“स्पेस माइक्रो एल्गी” प्रोजेक्ट में उन्होंने माइक्रो एल्गी के सैंपल्स का परीक्षण किया। ये छोटे-से जीव अंतरिक्ष स्टेशनों में भविष्य में ऑक्सीजन, भोजन और यहां तक कि बायो-फ्यूल का स्रोत बन सकते हैं।

कब लौटेंगे धरती पर?

शुभांशु शुक्ला 10 जुलाई को ISS से लौटने वाले हैं। लेकिन उनका ये मिशन सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक नई उम्मीद है — एक ऐसा कदम, जो इंसान को धरती के पार ले जा सकता है।

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