रांची। झारखंड में सियासी उथलपुथल के बीच सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट ने पारा हाई कर दिया है। अब निशिकांत दुबे की भविष्यवाणी में कितना दम है, इसे लेकर राजनीति के जानकार भी अलग-अलग नजरिया रख रहे हैं। गांडेय से विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे और विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से उसे आनन फानन में स्वीकारने को लेकर को लेकर भाजपा निशिकांत दुबे ने बैक टू बैक X पर लिखा है। हालांकि उन्ही ट्वीट में से सांसद निशिकांत दुबे का एक ट्वीट झामुमो को बेहद परेशान कर रहा है। सवाल ये उठ रहा है कि क्या वाकई में कल्पना सोरेन को पावर ट्रांसफर(मुख्यमंत्री बनाने) में कानूनी अड़चनें है ? क्या कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बन सकती ?

सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को लेकर जो ट्वीट किया है, वो काफी चौकाने वाला और झामुमो को परेशान करने वाला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की कॉपी को ट्वीट करते हुए लिखा है.. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट sr choudhry vs state of Punjab के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर कल्पना सोरेन जी विधायक नहीं बनती हैं तो वह मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले सकती हैं,और काटोल विधानसभा के लिए मुम्बई हाईकोर्ट के जजमेंट के अनुसार अब गांडेय या झारखंड के किसी भी विधानसभा का चुनाव नहीं हो सकता राज्यपाल को इलेक्शन कमीशन तथा क़ानूनी राय लेकर झारखंड के लुटेरों की मंशा को रोकना चाहिए यही प्रार्थना है।

भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने भी एक्स हैंडल से ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है सीएम हेमंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन होंगी। इस ट्वीट से राजनीति के जानकार काफी हद तक सहमत भी है, कि ऐसा कुछ प्लान झामुमो के अंदर चल रहा है। चर्चा है कि हेमंत अगर पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होंगे, तो जाहिर है ईडी का एक्शन उन्हें देखना होगा। ऐसे में झामुमो ने फूल प्रुफ प्लानिंग तैयार कर ली है। हेमंत अपना पावर ट्रांसफर पत्नी कल्पना सोरेन को कर सकते हैं। ये अटकलें उस वक्त भी लगी थी, जब राजभवन में आयोग की तरफ से एक बंद लिफाफा भेजे जाने की चर्चा उठी थी।

निशिकांत दुबे ने X पर इससे पहले लिखा था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परेशान,उनके सचिव चौबे जी से लेकर महाधिवक्ता मिश्रा जी गांडेय उप चुनाव कराने के लिए परेशान,विधायक दल की बैठक कल ,राज्यपाल के पास अपना इस्तीफ़ा व कल्पना सोरेन जी को विधायक दल का नेता बनाने वाला पत्र राज्यपाल महोदय को एक साथ देने की तैयारी है। झारखंड के राज्यपाल से विनम्र निवेदन है कि क़ानूनी सलाह के बाद ही निर्णय लें।

जानकारी के मुताबिक ईडी की ओर से बयान दर्ज कराने के लिए दिया गया सात दिन का वक्त 5 जनवरी को खत्म हो जाएगा। इसके बाद वह जांच में असहयोग का हवाला देकर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट हासिल कर सकती है। सोरेन के नेतृत्व वाले राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन को इस परिस्थिति का अनुमान पहले से था। ऐसी स्थिति में झारखंड में सत्ता बरकरार रखने के लिए बिहार में वर्षों पहले आजमाए गए “लालू-राबड़ी मॉडल” को दोहराने की तैयारी चल रही है। 1997 में चारा घोटाले में जेल जाने के पहले लालू यादव ने इस्तीफा देकर राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था। चर्चा है कि यही फार्मूला हेमंत भी अपनायेंगे।

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