VIP के लिए रास्ता, एंबुलेंस के लिए बंद! मां का शव लेकर 1 KM पैदल चला बेटा — ‘मुर्दा सिस्टम’ पर उठे सवाल

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सिस्टम की संवेदनहीनता और दोहरे मानदंडों की पोल खोल दी है। जहां एक ओर बंद पुल से भाजपा विधायक की कार को बेरोक-टोक निकलने दिया गया, वहीं उसी पुल पर एक एंबुलेंस को रोक दिया गया। एंबुलेंस में एक महिला का शव था, जिसे उसका बेटा अंतिम यात्रा के लिए लेकर जा रहा था।
दरअसल, मरम्मत के चलते यमुना पुल को बंद कर दिया गया था। लेकिन 6:44 बजे उस पुल से सदर सीट से भाजपा विधायक की कार को गुजरने की अनुमति दी गई। बताया गया कि विधायक स्वयं गाड़ी में मौजूद नहीं थे, बल्कि उनके बीमार भाई को लेकर पिता कानपुर जा रहे थे।
लेकिन जब 9:30 बजे एक एंबुलेंस उसी पुल पर पहुंची, तो उसे रोक दिया गया। एंबुलेंस में टेढ़ा गांव निवासी शिव देवी का शव था। जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते मजबूर बेटे को अपनी मां का शव एंबुलेंस से उतारकर स्ट्रेचर पर रखकर पूरे 1 किलोमीटर लंबा पुल पैदल पार करना पड़ा।
शव को पुल पार करने के बाद ऑटो में रखकर गांव पहुंचाया गया। इस दर्दनाक घटना ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि सिस्टम की सड़ांध को भी उजागर कर दिया।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं हुआ है। 21 जून को भी एक प्रमुख सचिव का काफिला बंद पुल से निकाला गया था, जबकि आम लोगों को रोक दिया गया था। सवाल ये उठता है कि क्या कानून सिर्फ आम आदमी के लिए है? क्या इंसानियत की कोई कीमत नहीं बची?
इस मामले ने राज्य सरकार की जवाबदेही और अधिकारियों की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जनता पूछ रही है — क्या VIP की गाड़ी के आगे शव से भरी एंबुलेंस की कोई अहमियत नहीं?