क्या धराली की तबाही सिर्फ ट्रेलर थी? वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी…उत्तराखंड को चाहिए अभी एक सिस्टम नहीं, वरना…
Cloudburst in Uttarkashi: धराली की त्रासदी पर बड़ा सवाल – क्या ये सिर्फ एक शुरुआत है? वैज्ञानिकों ने चेताया, अब भी नहीं चेते तो...

उत्तरकाशी, उत्तराखंड | 5 अगस्त 2025: धरती कांपी नहीं, लेकिन आसमान फट पड़ा। उत्तरकाशी के धराली गांव में मंगलवार को जो मंजर सामने आया, वो 2013 के केदारनाथ हादसे की याद दिला गया। खीरगंगा नदी उफान पर, गांव बह गया, होटल, दुकानें, मंदिर – सब तबाह। लेकिन सवाल सिर्फ इतना नहीं कि बादल फटा… सवाल ये है कि क्या ये त्रासदी टल सकती थी?
क्या धराली हादसे से सीखा जाएगा?
2013 में केदारनाथ तबाह हुआ तो वादा हुआ – “अर्ली वॉर्निंग सिस्टम” लाएंगे। लेकिन 12 साल बाद भी उत्तराखंड के पहाड़ों पर खतरे का कोई अलार्म नहीं बजा।
अब वैज्ञानिक कह रहे हैं – “धराली महज शुरुआत है। अगर सिस्टम नहीं आया, तो तबाही की अगली तारीख दूर नहीं है।”
क्या होता है Early Warning System?
अर्ली वॉर्निंग सिस्टम यानी… तबाही से पहले चेतावनी। इसका मकसद है कि जब बादल फटने, भूस्खलन, भूकंप या किसी प्राकृतिक आपदा का संकेत मिले, तो अलर्ट तुरंत मोबाइल, साइरन, टीवी या रेडियो के जरिए लोगों तक पहुंच जाए।
इसके चार हिस्से होते हैं:
जोखिम की पहचान – कौन-कौन सी आपदाएं आ सकती हैं
निगरानी व पूर्वानुमान – सेंसर, सैटेलाइट से डेटा
सूचना प्रसारण – सही समय पर सही लोगों तक चेतावनी
रिस्पॉन्स – अलर्ट मिलते ही बचाव और रेस्क्यू की तैयारी
दुनिया कर रही है इस्तेमाल – भारत क्यों पीछे?
जापान – मोबाइल पर भूकंप का अलर्ट
अमेरिका – NOAA से बवंडर चेतावनी
ओडिशा, भारत – सफलतापूर्वक चक्रवात अलर्ट
लेकिन उत्तराखंड – अब भी “सीखने” में व्यस्त…
वैज्ञानिकों की चेतावनी: “अब नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी”
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने कहा:
“धराली जैसी जगहों पर नमी वाले बादल अटक जाते हैं, और फिर फटते हैं। चेतावनी मिल सकती है, अगर सिस्टम हो।”
अब सवाल सीधा है – कब तक लोग मरते रहेंगे और सरकार ‘सीखेगी’?
अगर धराली में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम होता तो शायद…
4 लोगों की जान बच सकती थी
50 से ज्यादा लापता न होते
सेना कैंप, हेलीपैड, यात्रियों को बचाया जा सकता था
अब नहीं चेते तो अगली बारी किसकी?
सरकार और प्रशासन के लिए सवाल:
सिस्टम कब तक सिर्फ कागज़ों में रहेगा?
क्या लोगों की जानों से बड़ी कोई फाइल है?
और कितनी त्रासदियों के बाद जागेगा सिस्टम?